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________________ वीरनन्दी] (५१४ ) [वेणीसंहार __ तृतीय अंश में आश्रम-विषयक कर्तव्यों का निर्देश एवं तीन अध्यायों में वैदिक शाखाओं का विस्तृत विवरण है। इसी अंश में व्यास एवं उनके शिष्यों द्वारा किये गए वैदिक विभागों तथा कई वैदिक सम्प्रदायों की उत्पत्ति का भी वर्णन किया गया है। इसके बाद अठारह पुराणों की गणना, समस्त शास्त्र एवं कलाओं की सूची प्रस्तुत की गयी है। चतुर्थ अंश में ऐतिहासिक सामग्री का संकलन है जिसके अन्तर्गत सूर्य एवं चन्द्रवंशी राजाओं को वशावलियां हैं। इसमें पुरूरवा-उर्वशी, राजा ययाति, पाण्डवों एवं कृष्ण की उत्पत्ति, महाभारत को कथा तथा राम-कथा का संक्षेप में वर्णन किया गया है। इसी भाग में भविष्य में होनेवाले राजाओं-मगध, शैशुनाग, नन्द, मोय, शुङ्ग, काण्वायन तथा आन्ध्रभृत्य-के सम्बन्ध में भविष्यवाणियां की गयी हैं। पंचम अंश में 'श्रीमद्भागवत' की भांति भगवान् श्रीकृष्ण के अलौकिक चरित का वर्णन किया गया है । षष्ठ अंश अपेक्षाकृत अधिक छोटा है। इसमें केवल आठ अध्याय हैं। इस खण्ड में कृतयुग, त्रेता, द्वापर एवं कलियुग का वर्णन है और कलि क दोषों को भविष्यवाणी के रूप में दर्शाया गया है। इसका रचनाकाल ईस्वी सन् के पूर्व माना गया है। ___ आधारग्रन्थ-१. विष्णुपुराण-(हिन्दी अनुवाद सहित ) गीता प्रेस, गोरखपुर । २. विष्णुपुराणकालीन भारत-डॉ० सर्वदानन्द पाठक । ३. विष्णुपुराण ( अंगरेजी अनुवाद )-एच. एच. विल्सन । ४. पुराण-विमर्श-५० बलदेव उपाध्याय । ५. इण्डियन हिस्टॉरिकल का टेली भाग ७, कलकत्ता १९३१ । वारनन्दी-इनका समय १३०० ई० है। ये जैनमतावलम्बी हैं। इन्होंने 'चन्द्रप्रभचरित' नामक महाकाव्य की रचना की है जिसमें १८ सगं हैं। इसमें सप्तम जैन तीर्थकर चन्द्रप्रभ का जीवनचरित वर्णित है । वेंकटनाथ-ये विशिष्टाद्वैतवाद नामक वैष्णव दर्शन के आचार्य थे। इनका समय १२६९-१३६९ है। इन्हें वेदान्ताचार्य भी कहा जाता है तथा 'कवितार्किकसिंह' एवं 'सवंतन्त्रस्वतन्त्र' नामक उपाधियों से ये समलंकृत हुए थे। इन्होंने साम्प्रदायिक ग्रन्थों के अतिरिक्त काव्यों की भी रचना की थी जिनमें काव्यतत्वों का सुंदर समावेश है । इनके काव्यों में 'संकल्प सूर्योदय', 'हंसदूत', 'रामाभ्युदय', 'यादवाभ्युदय', 'पादुकासहस्र' बादि हैं। वेंकटनाथ के प्रमुख दार्शनिक ग्रन्थों की तालिका इस प्रकार है-तस्वटीका (यह 'श्रीभाष्य' की विशद व्याख्या है ), न्यायपरिशुद्धि तथा न्यायसिवाजन ( दोनों ग्रन्थों में विशुद्धाद्वैतवाद को प्रमाणमीमांसा का वर्णन है ), अषिकरणसारावली ( इसमें ब्रह्मसूत्र के अधिकरणों का श्लोक-बद विवेचन किया गया है), तत्वमुक्ताकलाप, गीतार्थतात्पर्यचन्द्रिका, (यह रामानुजाचार्य के गीता-भाष्य की टीका है), ईशावास्यभाष्य, द्रविड़ोपनिषदतात्पर्यरत्नावली, शतदूषगी, सेश्वरमीमांसा, पाच. रात्ररक्षा, सच्चरित्ररक्षा, निक्षेपरक्षा, न्यासविंशति । दे. भारतीय दर्शन-आ० बलदेव उपाध्याय । वेणीसंहार-यह भट्टनारायण लिखित (दे० भट्टनारायणण) नाटक है। 'वेणीसंहार' में महाभारत की उस प्रसिद्ध घटना का वर्णन है जिसमें द्रोपरी ने प्रतिज्ञा
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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