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रामायण]
(४७२)
[रामायण
मे स्वयंप्रभा तपस्विनी की सहायता से सागर-तट पर पहुंचना, सम्पाती से बानरों की भेंट तथा उसके पंख जलने का कथा, जाम्बान द्वारा हनुमान की उत्पत्ति का कथन करना।
सुन्दरकाण-समुद्र-संतरण करते हुए हनुमान् का अलंकृत वर्णन तथा हनुमान का लङ्का-दर्शन, लङ्का का भव्य वर्णन, रावण के शयन एवं पानभूमि का वर्णन, अशोक वन में सीता को देखकर हनुमान का विषाद करना, लङ्का-दहन तथा वाटिका-विध्वंस कर हनुमान का जाम्बवान आदि के पास लौट आना तथा सीता का कुशल राम-लक्ष्मण को सुनाना।
युद्धकाण्ड-राम का हनुमान् की प्रशंसा, लंका की स्थिति के सम्बन्ध में प्रश्न, रामादि का लंका-प्रयाण, विभीषण का राम की शरण में आना और राम की उसके साथ मन्त्रणा । अंगद का दूत बन कर रावण के दरबार में जाना तथा लौटकर राम के पास आना, लंका पर चढ़ाई, मेघनाद का राम-लक्ष्मण को घायल कर पुष्पक विमान से सीता को दिखाना; सुषेण वैद्य एवं गरुड़ का आगमन एवं राम-लक्ष्मण का स्वस्थ होना, मेघनाथ द्वारा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर राम लक्ष्मण को मूच्छित करना, हनुमान का द्रोण पर्वत को लाकर राम-लक्ष्मण एवं बानरसेना को चेतना प्राप्त कराना, मेघनाद एवं कुम्भकर्ण का वध, राम-रावण युद्ध, रावण की शक्ति से लक्ष्मण का मूच्छित होना, रावण के सिरों के कटने पर पुनः अन्य सिरों का होना, इन्द्र के सारथी मातलि के परामर्श से ब्रह्मास्त्र से राम द्वारा रावण का वध, राम के सम्मुख सीता का माना तथा राम का सीता को दुर्वचन कहना, लक्ष्मणरचित अग्नि में सीता का प्रवेश करना तथा सीता को निर्दोष सिद्ध करते हुए अग्नि का राम को समर्पित करना, दशरथ का विमान द्वारा राम के पास आना तथा कैकेयी एवं भरत पर प्रसन्न होने के लिए प्रार्थना करना, इन्द्र की कृपा से बानरों का जी उठना, वनवास की अवधि की समाप्ति के पश्चात् राम का अयोध्या लौटना तथा अभिषेक, सीता का हनुमान् को हार देना तथा रामराज्य का वर्णन एवं रामायण श्रवण करने का फल। ___ उत्तरकाण्ड-राम के पास कौशिक, अगस्त्य आदि महर्षियों का आगमन, उनके द्वारा मेघनाद की प्रशंशा सुनने पर राम को उसके सम्बन्ध में जानने की जिज्ञासा प्रकट करना, अगस्त्य मुनि द्वारा रावण के पितामह पुलस्त्य एवं पिता विश्रवा की कवा सुनाना, रावण, कुम्भकर्ण एवं विभीषण की जन्म-कथा तथा रावण की विजयों का विस्तारपूर्वक वर्णन, रावण का वेदवती नामक तपस्विनी को भ्रष्ट करना और उसका सीता के रूप में जन्म लेना, हनुमान के जन्म की कथा, जनक, केकय, सुग्रीव, विभीषण बादि का प्रस्थान, सीता-निर्वासन तथा वाल्मीकि के आश्रम पर उनका निवास, मधु या लवणासुर के वध के लिए शत्रुघ्न का प्रस्थान तथा वाल्मीकि के आश्रम पर ठहरना, लव-कुश की उत्पत्ति, ब्राह्मणपुत्र की मृत्यु एवं शम्बुक नामक शूद्र की तपस्या तथा राम द्वारा उसका वध एवं ब्राह्मणपुत्र का जी उठना, राम का राजसूय करने की इच्छा प्रकट करना, वाल्मीकि का यज्ञ में आगमन तथा लव-कुश द्वारा रामायण का गान, राम हारा सीता को अपनी शुद्धता सिद्ध करने के लिए शपथ लेने की बात कहना, सीता का