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________________ रामायण ] ( ४७१ ) | रामायण ग्रन्थ के आरम्भ में वाल्मीकि द्वारा यह प्रश्न किया गया है कि इस लोक में पराक्रमी एवं गुणवान् कौन व्यक्ति है ? नारद जी ने उन्हें दशरथसुत राम का नाम बतलाया | आगे के सगं में अयोध्या, राजा दशरथ एवं उनके शासन तथा नीति का वर्णन है । राजा दशरथ पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टियज्ञ करते हैं तथा ऋष्यशृङ्ग के द्वारा यज्ञ सम्पन्न होता है और राजा को चार पुत्र उत्पन्न होते हैं । विश्वामित्र अपने यश की रक्षा के लिए राजा से राम-लक्ष्मण को मांग कर ले जाते हैं, वहां उन्हें बला और अतिबला नामक विद्यायें तथा अनेक अस्त्र प्राप्त होते हैं । राम ताड़का, मारीच एवं सुबाहु का वध कर विष्णु का सिद्धाश्रम देखते हैं । बालकाण्ड – इस काण्ड में बहुत-सी कथाओं का वर्णन है जिन्हें विश्वामित्र ने राम को सुनाया है । विश्वामित्र के वंश का वर्णन तथा तत्सम्बन्धी कथायें, गंगा एवं पार्वती की उत्पत्ति की कथा, कार्तिकेय का जन्म, राजा सगर एवं उनके साठ सहस्र पुत्रों की कथा, भगीरथ की कथा, दिति-अदिति को कथा तथा समुद्र-मंथन का वृत्तान्त, गौतम - अहल्या की कथा, राम के चरणस्पर्श से अहल्या की मुक्ति, वसिष्ठ एवं विश्वामित्र का संघर्ष, त्रिशंकु की कथा, राजा अम्बरीष की कथा, विश्वामित्र द्वारा तपस्या करना एवं मेनका का तप भंग करना, विश्वामित्र द्वारा पुनः तपस्या एवं ब्रह्मर्षि पद की प्राप्ति । सीता और उर्मिला की उत्पत्ति की कथा, राम द्वारा धनुर्भङ्ग एवं चारों भाइयों का विवाह । अयोध्याकाण्ड-काव्य की दृष्टि से यह काण्ड अत्यन्त महनीय है । इसमें अधिकांश कथायें मानवीय हैं । राजा दशरथ द्वारा राम-राज्याभिषेक की चर्चा सुनकर कैकेयी की दासी मंथरा को कैकेयी का बहकाना, कैकेयी का राजा से वरदान मांगना जिसके अनुसार राम को चौदह वर्ष का वनवास एवं भरत को राजगद्दी की प्राप्ति । इसके फलस्वरूप राम, सीता और लक्ष्मण का वनगमन एवं दशरथ की मृत्यु । ननिहाल से भरत का अयोध्या आगमन और राम को मनाने के लिए चित्रकूट प्रस्थान । रामलक्ष्मण का सन्देह और वार्तालाप, भरत और राम का विलाप, जावालि द्वारा राम को नास्तिक दर्शन का उपदेश तथा राम का उन पर क्रोध करना, पिता के वचन को सत्य करने के लिए राम का भरत को लौट कर राज्य करने का उपदेश, राम की चरणपादुका को लेकर भरत की नन्दिग्राम में बास, राम का दण्डकारण्य में प्रवेश करना । अरण्यकाण्ड - दण्डकारण्य में ऋषियों द्वारा राम का स्वागत तथा विरोध का सोता को छीनना, विराधवध, पंचवटी में राम का आगमन, जटायु से भेंट, शूर्पणखा वृत्तान्त, खर दूषण एवं त्रिशिरा के साथ राम का युद्ध एवं तीनों की मृत्यु, मारीच के साथ. रावण का आगमन तथा मारीच का स्वर्ण मृग बनना, स्वर्णमृग का रावण द्वारा सीता हरण । राम द्वारा वर्ष तथा किष्किन्धाकाण्ड- - पम्पा के तीर पर राम-लक्ष्मण का गोकपूर्ण संवाद, पम्पासर का वर्णन, राम तथा सुग्रीव की मैत्री, वाली का वध तथा सीता को खोजने के लिए सुग्रीव का बन्दरों को आदेश देना, बानरों का मायासुर-रक्षित ऋक्षबिल में जाना तथा वहां
SR No.016140
Book TitleSanskrit Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajvansh Sahay
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year2002
Total Pages728
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size20 MB
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