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________________ वच्छराज पैठणपुर नरेश महाराज नरवाहन की रानी हंसावली का अंगजात। (देखिए-हंसराज) वज्रजंघ पुंडरीकिणी नगरी का राजा । उसने वन में महासती सीता की न केवल रक्षा ही की बल्कि उसे भगिनी का पद दे अपने साथ अपने नगर में ले गया। वहीं पर लव और कुश का जन्म हुआ तथा शिक्षा-दीक्षा भी हुई। (देखिए-सीता) वज्रधर स्वामी (विहरमान तीर्थंकर) __ ग्यारहवें विहरमान तीर्थंकर। धातकी खण्ड के पूर्व महाविदेह क्षेत्र की वच्छ विजय में स्थित सुसीमापुरी नगरी के महाराज पद्मरथ की पट्टमहिषी सरस्वती के रत्नगर्भ से प्रभु का जन्म हुआ। यौवनावस्था में विजया नामक राजकुमारी से प्रभु का विवाह हुआ। शंख प्रभु का चिन्ह है। तिरासी लाख पूर्व तक गृहवास भोगकर प्रभु प्रव्रजित हुए और तप-संयम की अराधना से केवली बने। तदनन्तर प्रभु ने तीर्थ की स्थापना कर लोक कल्याण का पथ प्रशस्त किया। चौरासी लाख पूर्व की सर्वायु भोग कर प्रभु निर्वाण को प्राप्त होंगे। वज्रनाभ प्रभु पार्श्वनाथ का पूर्वभव का नाम । वज्रनाभ शुभंकरा नगरी के महाराज वज्रवीर्य का पुत्र था। (दखिए-मरुभूति) वज्रबाहु अयोध्या का एक सूर्यवंशी राजकुमार। उसके पिता विजय अयोध्या के राजा थे। उसका एक सहोदर था-पुरन्दर। युवराज वज्रबाहु का विवाह नागपुर नरेश की पुत्री मनोरमा के साथ हुआ था। मनोरमा का एक भाई था जिसका नाम उदयसुन्दर था। एक बार राजकुमार उदयसुन्दर अपनी बहन से मिलने अयोध्या में आया। अपने साले के आगमन की खुशी में युवराज वज्रबाहु ने वनविहार का कार्यक्रम बना लिया। वह अपनी पत्नी मनोरमा और साले उदयसुन्दर के साथ एक रथ पर सवार हो गया। अन्य कई रथों पर राजपरिवार के अन्य युवक और सेवक सवार हुए। वनविहार के क्रम में रथों का वह काफिला एक ऐसे सघन वन प्रदेश में पहुंचा जहां अद्भुत प्राकृत छटा बिखरी हुई थी। वज्रबाहु ने रथ रोक दिया। पास ही वृक्ष के नीचे एक मुनि ध्यानस्थ थे। वज्रबाहु एकटक हो मुनि को देखने लगा। उसके अंतःकरण में चिंतन चला-यथार्थ रूप में तो यह मुनि ही सम्राट् हैं जो विषयों और कषायों को जीत कर आत्म-आराम में विहार कर रहे हैं। वज्रबाहु को मुनि की ओर एकटक निहारते हुए देखकर उदयसुन्दर ने विनोद किया-जीजा जी। दीक्षा लेने की तो नहीं सोच रहे हो? यदि वैसा विचार हो तो हमें भी अपने साथ रखिए। ... 524 -- - जैन चरित्र कोश ....
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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