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________________ कंबल-संबल नागकुमार जाति के ये दो देव पूर्वभव में दो बैल थे। मथुरा नगरी के श्रावक जिनदास के घर में रहने के कारण और उसके धर्म-कर्म का मौन आचरण करने के कारण ये दोनों बैल मरकर देव बने। जिनदास ने यह नियम लिया था कि वह व्यवसाय अथवा गृहकार्य के लिए पशु नहीं रखेगा। वह दूध-घृतादि एक ग्वाले से खरीदा करता था। ग्वाला सेठ को श्रेष्ठ और शुद्ध घी-दूध देता। इससे सेठ का अनुराग भाव ग्वाले पर बढ़ता गया। ग्वाले के घर किसी उत्सव के प्रसंग पर सेठ ने पर्याप्त धन-सामग्री देकर उसकी सहायता की। ग्वाले का मान गांव में काफी बढ़ गया। उसने इसके लिए सेठ जी को ही निमित्त माना। उसके यहां युवा और सुन्दर वृषभों की एक जोड़ी थी। वह वृषभों की उस जोड़ी को सेठ जी को भेंट देने के लिए आया। परन्तु सेठ जी ने उसे अस्वीकार कर दिया। इससे भी ग्वाला निराश नहीं हुआ और चुपके से सेठ के घर बैलों को बांधकर चला गया। ___ इससे सेठ धर्मसंकट में फंस गया। उसने विचार किया, यदि मैं बैलों को अपने घर से निकालता हूं तो कोई न कोई व्यक्ति उन्हें पकड़ लेगा और मनमाना काम लेगा। मेरे लिए यही युक्तियुक्त है कि इन बैलों को अपने पास रखू और अपने नियम के अनुसार इनसे काम न लेकर भी इनका भरण-पोषण करूं । उक्त संकल्प के साथ सेठ ने बैलों को अपने पास रख लिया और उनके खान-पान की समुचित व्यवस्था कर दी। निरंतर संपर्क से सेठ का अनुराग बैलों पर बढ़ता गया। बैल भी सेठ से विशेष अनुराग रखने लगे। सेठ पर्व-तिथियों को उपवास करते तो उन दिनों में बैल भी निराहारी रहते। इससे सेठ के प्रेम में उत्तरोत्तर वृद्धि होती रही। किसी समय नगर में बैल-दौड़ का आयोजन हुआ। सेठ का एक मित्र था जो इस प्रतियोगिता में भाग लेने को उत्सुक था। परन्तु उसके बैल इस योग्य नहीं थे कि उन्हें प्रतियोगिता में उतारा जाए। वह सेठ के पास आया। सेठ घर पर नहीं थे। मित्र सेठ की अनुमति के बिना ही बैलों को ले गया। प्रतियोगिता में उसने उन बैलों को उतारा और विजयी हुआ। शाम को वह बैलों को सेठ के घर बांधकर चला गया। बैलों ने जीवन में प्रथम बार ऐसा कठोर श्रम किया था। यह एक ऐसा श्रम था जिसने बैलों के शरीर के संध तोड़ दिए थे। चाबुकों की मार से बैल अधमरे बन गए थे। सेठ घर लौटे तो बैलों की दशा पर बहुत दुखी हुए। मित्र के आचरण पर उन्हें बड़ा कष्ट हुआ। बैलों की दशा देखकर सेठ समझ गए कि उन्हें बचाया नहीं जा सकता। सेठ ने पूर्ण प्रेमभाव से बैलों को सहलाया और उन्हें नवकार मंत्र सुनाया। कुछ ही देर में बैलों की मृत्यु हो गई। मृत्यु को प्राप्त होकर दोनों बैल कंबल और संबल नामक नागकुमार जाति के देव बने। इन्हीं कंबल और संबल देवों ने एक बार भगवान महावीर पर आए उपसर्ग से उन की रक्षा की थी। घटना इस प्रकार है भगवान महावीर एक बार गंगा नदी को पार करने के लिए शुद्धदंत नामक नाविक की नौका पर आरूढ़ हुए। जैसे ही नौका चली, किनारे पर स्थित वृक्ष पर बैठा हुआ उल्लू बोलने लगा। नौका में खेमिल नामक शकुन शास्त्री भी था। उसने कहा, प्रतीत होता है कि हम पर मरणान्तिक उपसर्ग आने वाला है। आशा की .. जैन चरित्र कोश ... ... 79 ...
SR No.016130
Book TitleJain Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubhadramuni, Amitmuni
PublisherUniversity Publication
Publication Year2006
Total Pages768
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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