SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 93
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अस्त्रियाम् अस्मिन् अखियाम् -II. iv. 62 अस्मदः -I.ii. 59 (बहुत्व अर्थ में वर्तमान तद्राजसज्जक प्रत्यय का लुक अस्मदर्थ के (एकत्व और द्वित्व को कहने में बहुवचन होता है), स्त्रीलिंग को छोड़कर, (यदि वह बहुत्व तद्राज- विकल्प करके होता है)। सज्ञक-कृत ही हो तो)। अस्मदि-I. iv. 106 अस्त्रियाम् - III. 1. 94 तिङ् समानाधिकरण अस्मद् शब्द के उपपद रहते, स्त्री अधिकार में 'विहित' प्रत्ययों से भिन्न (जो धात के (अस्मत् शब्द प्रयुक्त हो या न हो, तो भी उत्तम पुरुष हो अधिकार में विहित असरूप अपवाद प्रत्यय, वे विकल्प जाता है)। से बाधक होते है)। ...अस्मदो: - IV. iii.1 अस्त्रियाम् - IV.i.94 देखें- युष्मदस्मदो: IV. iii.1 (युवापत्य की विवक्षा होने पर गोत्र से ही प्रत्यय हो. . देखें - युष्मदस्मदो: VI.i. 205 अनन्तरापत्य तथा प्रकृति से नहीं),स्त्री अपत्य को छोड़कर। ...अस्मदो: -VII. ii.86 अखियाम् - V. iii. 113 . देखें-युष्मदस्मदो: VII. 1. 86 (वातवाची तथा कञ् प्रत्ययान्त प्रातिपदिकों से स्वार्थ पथ ...अस्मदो: - VIII. I. 20 में ज्य प्रत्यय होता है), स्त्रीलिंग को छोड़कर। देखें- युष्मदस्मदो: VIII. 1. 20 अखियाम् -VII. iii. 119 ...अस्मद्भ्याम् - VII. I. 27 (घिसक्षक अङ्ग से उत्तर आङ्=टा के स्थान में ना देखें - युष्मदस्मद्भ्याम् VII. I. 27 आदेश होता है),स्त्रीलिंग वाले शब्द को छोड़कर।. ..अस्माकौ - IV.ifi.2 अस्त्री-I. iv.4 देखें - युष्माकास्माको IV. iii. 2 (इयङ्, उवङ् स्थान वाले स्त्र्याख्य ईकारान्त ऊकारान्त . रान्त अस्मायामेधामजः - V. ii. 121 शब्द नदीसंज्ञक नहीं होते).स्त्री शब्द को छोड़कर। - अस् अन्तवाले तथा माया,मेधा और सज प्रातिपदिकों अस्त्रीविषयात् - IV.i.63 से (मत्वर्थ में विनि प्रत्यय होता है)। जो नित्य ही स्त्रीविषय में न हो (तथा यकार उपधावाला न हो). ऐसे (जातिवाची) प्रातिपदिक से (स्त्रीलिंग में डीप अस्मिन् - IV.ii. 20 प्रत्यय होता है)। (प्रथमासमर्थ पौर्णमासी विशेषवाची प्रातिपदिक से) अस्थि .. - VII. 1.75 सप्तम्यर्थ = अधिकरण अभिधेय होने पर (यथाविहित देखें- अस्थिदधि० VII. 1.75 अण् प्रत्यय होता है)। अस्थिदधिसक्थ्यक्ष्णाम् - VII.i.75 अस्मिन् - IV. ii. 66 (नपुंसकलिंग वाले) अस्थि, दधि, सक्थि, अक्षि - इन (अस्ति समानाधिकरण वाले प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक (अस्ति समानाधिकरण वाले डों को तितीयादि अजाति विभक्तियों के परे रहते से) सप्तम्यर्थ में (यथाविहित प्रत्यय होता है.यदि सप्तम्यर्थ अनङ् आदेश होता है और वह उदात्त होता है)। से निर्दिष्ट उस नाम वाला देश हो)। अस्थूलात् - V.iv. 118 अस्मिन् - IV. iv. 87 (सञ्जाविषय में नासिका-शब्दान्त बहुव्रीहि से समासान्त (दृश्यसमानाधिकरण प्रथमासमर्थ पद प्रातिपदिक से) अच् प्रत्यय होता है, तथा नासिका शब्द के स्थान में नस सप्तम्यर्थ में (यत् प्रत्यय होता है)। आदेश भी हो जाता है),यदि वह नासिका शब्द स्थूल शब्द अस्मिन् -V.i. 17 से उत्तर न हो तो। (प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से षष्ठयर्थ तथा ) सप्तम्यर्थ • अस्पर्श -VIII. ii. 47 में (यथाविहित प्रत्यय होता है,यदि वह प्रथमासमर्थ प्राति(श्यैङ् धातु से उत्तर निष्ठा के तकार को नकारादेश पदिक 'स्यात् = सम्भव हो' क्रिया के साथ समानाधिहोता है),स्पर्श अर्थ को छोड़कर। करण वाला हो तो)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy