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________________ असूर्यललाटयोः । 74 अखियाम् ...अस्ति ... - IV. iii. 56 देखें - दतिकुक्षिकलशिo IV. iii. 56 अस्ति... -IV.iv.60 देखें- अस्तिनास्तिदिष्टम् IV. iv.60 अस्ति-v.ii.94 'है' क्रिया के समानाधिकरण वाले (प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से षष्ठ्यर्थ तथा सप्तम्यर्थ में मतुप प्रत्यय होता असूर्यललाटयो: - III. ii. 36 असर्य तथा ललाट (कम) उपपद हो तो (यथासंख्य करके दृशिर तथा तप् धातुओं से खश् प्रत्यय होता है)। ...असे... - III. iv.9 देखें- सेसेनसे. III. iv.9 असे: -VIII. ii. 80 . असकारान्त (अदस शब्द) के (दकार से उत्तर जो वर्ण. उसके स्थान में उवर्ण आदेश होता है तथा दकार को मकारादेश भी होता है)। ...असेन...-III. iv.9 देखें-सेसेनसे III. iv.9 . ...असेवित... - VI.i. 140 देखें-सेवितासेवित. VI. I. 140. ...असो: -VI. iv. 111 देखें-श्नसो: VI. iv. 111 ...असो: -VI. iv. 119 देखें-ध्वसो: VI. iv. 119 असोढः-I. iv. 26 (परा पूर्वक जि धातु के प्रयोग में) जो असह्य है, वह (कारक अपादान सञ्जक होता है)। असौ-VI. iv. 127 (अर्वन् अङ्गको त आदेश होता है), यदि (अर्वन् शब्द से) परे सुन हो (तथा वह अर्वन् शब्द न से उत्तर भी न हो)। अस्ति ... - VII. iii. 96 देखें-अस्तिसिच: VII. iii.96 अस्तिः -VIII. iii. 87 (उपसर्ग में स्थित निमित्त से उत्तर तथा प्रादुस शब्द से उत्तर यकारपरक एवं अच्परक) अस् धातु के (सकार को मूर्धन्य आदेश होता है)। अस्तिनास्तिदिष्टम् - IV.iv.60 (प्रथमासमर्थ) अस्ति, नास्ति तथा दिष्ट प्रातिपदिकों से (इसकी मति' विषय में ठक् प्रत्यय होता है)। ...अस्तियोगे-v.iv. 50 देखें-कश्वस्तिक .iv. 50 अस्तिसिच -VII. ii.96 __ अस् धातु तथा सिच् से उत्तर (अपृक्त हलादि सार्वधातुक को ईट् आगम होता है)। . अस्ते: -II. iv. 52 अस् को (भू आदेश होता है, आर्धधातुक विषय उपस्थित होने पर)। अस्तेये-III. iii. 40 चोरी से भिन्न (हाथ से ग्रहण करना) गम्यमान हो तो (चि धातु से कर्तृभिन्न कारक और भाव में घञ् प्रत्यय होता है)। ...अस्त्य र्थेषु -III. iii. 146 देखें-किंकिलास्त्यर्थेषु III. iii. 146 ...अस्त्यर्थेषु - III. iv. 65 देखें-शकधृष० III. iv.65 ...अस्त्योः - VII. iv. 50 देखें- तासस्त्योः VII. iv. 50 अखियाम् - II. iii. 25 “स्त्रीवर्जित (गुणस्वरूप जो हेतु, उस) में (विकल्प से पञ्चमी विभक्ति होती है)। अस्तम् -I. iv.67 (अव्यय) अस्तं शब्द (भी क्रियायोग में गति और निपातः संज्ञक होता है)। अस्ताति-V. iii. 40 (सप्तमी,पञ्चमी, प्रथमान्त, पूर्व,अधर तथा अवर शब्दों को) अस्तात् प्रत्यय के परे रहते (भी यथासंख्य करके पुर, अध् तथा अव् आदेश होते है)। अस्ताति:-v.iii. 27 , दिशा. देश और काल अर्थों में वर्तमान सप्तम्यन्त पञ्चम्यन्त तथा प्रथमान्त दिशावाची प्रातिपदिकों से स्वार्थ में) अस्ताति प्रत्यय होता है। अस्ति-IV. 1.66 अस्ति समानाधिकरण वाले (प्रथमासमर्थ प्रातिपदिक से सप्तम्यर्थ में यथाविहित प्रत्यय होता है,यदि सप्तम्यर्थ से निर्दिष्ट उस नाम वाला देश हो)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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