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________________ अश्व . अश्व... - VI. iil. 107 देखें - उदराश्वेषुषु VI. iii. 107 ... अश्व... - VI. iii. 130 देखें - सोमाश्वेo VI. iii. 130 अश्व... - VII. 1. 51 देखें- अश्वक्षीर० VII. 1. 51 अश्व... - VII. Iv. 37 देखें - अश्वाघस्य VII. Iv. 37 अश्वक्षीरवृषलवणानाम् - VII. 1. 51 अश्व, क्षीर, वृष, लवण इन अङ्गों को क्यच परे रहते असुक् आगम होता है, आत्मा की प्रीति विषय में) । ... अश्वत्थ... - IV. iii. 48 देखें - कलाप्यश्वत्थo IV. iii. 48 ... अश्वत्थात् - IV. 1. 21 देखें - आग्रहायण्यश्वत्थात् IV. ii. 21 ...अश्यत्वाभ्याम् - IV. 1. 5 देखें - श्रवणाश्वत्थाभ्याम् IV. 1. 5 अश्वपत्यादिभ्य IV. 1. 84 अश्वपति आदि (समर्थ) प्रातिपदिकों से (भी प्राग्दीव्यतीय अर्थों में अण् प्रत्यय होता है)। - ... आश्वयुज्.. - IV. III. 36 देखें - वत्सशालाभिजिo IV. III. 36 अश्वस्य - Vit. 19 षष्ठीसमर्थ अश्व प्रातिपदिक से (एक दिन में जाया जा सकने वाला मार्ग' कहना हो तो खज् प्रत्यय होता है) । अश्वाघस्य VII. iv. 37 अश्व तथा अघ अङ्ग को (क्यच् परे रहते वेद-विषय में आकारादेश होता है)। 70 अश्वादिभ्यः IV. 1. 110 (षष्ठीसमर्थ) अश्वादि प्रातिपदिकों से (गोत्रापत्य में फञ् प्रत्यय होता है)। - .. अश्यादेः - V. 1. 38 देखें- असंख्यापरिमाणo V. 1. 38 ... अश्वाभ्याम् - IV. ii. 47 देखें - केशाश्वाभ्याम् IV. 1. 47 अश्विमान् IV. Iv. 127 (उपधान मन्त्र समानाधिकरण वाले प्रथमासमर्थ मतुबन्त) अश्विमान् प्रातिपदिक से (षष्ठ्यर्थ में इष्टका अभिधेय हो तो अण् प्रत्यय होता है, तथा उसके संयोग से मतुप् का लुक् होता है, वेद-विषय में)। अषडक्ष... V. iv. 7 देखें - अवडक्षाशितं Viv. 7 अवडक्षाशितंग्वलंकर्मालंपुरुषाच्युत्तरपदात् - V. Iv. 7 अषडक्ष, आशितंगु, अलंकर्म, अलम्पुरुष शब्दों से तथा अधि शब्द उत्तरपद वाले प्रातिपदिकों से (स्वार्थ में ख प्रत्यय होता है)। ... अश्ववडव... - II. iv. 12 अपाते VIII. iv. 18 देखें - वृक्षमृगतृणधान्यo II. Iv. 12 अश्ववडवौ - II. iv. 27 (उपसर्ग में स्थित निमित्त से उत्तर) जो (उपदेश में ककार तथा खकार आदिवाला नहीं है, एवं षकारान्त (भी) नहीं अश्ववडव (का द्वन्द्व समास करने पर पूर्व शब्द के है, ऐसे (शेष) धातु के परे रहते (नि के नकार को विकल्प समान लिंग होता है)। से णकारादेश होता है)। - अषष्ठी... - VI. iii. 98 देखें - अवष्ठ्यतृतीयास्थस्य VI. III. 98 अवष्ट्यतृतीयास्वस्य - VI. III. 98 (आशीष, आशा, आस्था, आस्थित, उत्सुक, ऊति, कारक, राग तथा छ प्रत्यय के परे रहते) अषष्ठीस्थित तथा अत्तीयास्थित (अन्य) शब्द को (दुक् आगम होता है)। ... अवाढा... - IV. iit. 34 देखें- श्रविष्ठापाकाo IV. 34 अष्टन: ... अष्ट... - VI. iii 114 देखें •अविष्टाष्ट० VI. iii. 114 अष्टन: - VI. 1. 166 (दीर्घ अन्त वाले) अष्टन् शब्द से उत्तर (सर्वनामस्थानभिन्नं विभक्ति उदात्त होती है) । ... अष्टन: - VI. ill. 46 देखें - राष्टन: VI. ili. 46 अष्टन: - VI. ill. 124 अष्ट शब्द को उत्तरपद परे रहते सखा-विषय में दीर्घ होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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