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________________ 577 हत्... -VII. I. 19 देखें - हृद्भग VII. II.19 हृदयस्य-INiv.95 (षष्ठीसमर्थ) हृदय प्रातिपदिक से (प्रिय अर्थ में यत् प्रत्यय होता है)। हृदयस्य-VI. iii. 49 - हृदय शब्द को (हृद् आदेश होता है; लेख, यत्, अण, तथा लास परे रहते)। हृद्भगसिन्यन्ते- VII. II. 19. हृद, भग, सिन्धु ये शब्द अन्त में है जिन अगों के, उनके (पूर्वपद के तथा उत्तरपद के अचों में आदि अच् को भी जित्, णित् तथा कित् तद्धित परे रहते वृद्धि होती .....-VIL.i. 186 देखें- भीही० VI.i. 186 हु...-VI. iv. 87 देखें-हुश्नुवो: VI. iv.87 हु...- VI. iv. 101 देखें-'हुझलण्यः VI. iv. 101 हुझल्ल्य -VI. iv. 101 हु तथा झलन्त से उत्तर (हलादि हि के स्थान में घि आदेश होता है)। ...हुवाम्-III.1.39 देखें-भीहीभृहुवाम् III. I. 39 हुश्नुवो:- VI. iv. 87 हु तथा श्नुप्रत्ययान्त (अनेकाच) अङ्ग का (संयोग पूर्व में नहीं है जिससे ऐसा जो उवर्ण, उसको अजादि सार्वधातुक प्रत्यय परे रहते यणादेश होता है)। .. हूते-VIII. ii. 84 (दूर से) बुलाने में (जो प्रयुक्त, उसकी टि को भी प्लुत उदात्त होता है)। हूते- VIII. ii. 107 (दूर से) बुलाने के विषय से भिन्न) विषय में (अप्रगह्यसञक ऐच के पूर्वार्द्ध भाग को प्लुत करने के प्रसङ्ग में आकारादेश होता है तथा उत्तरवाले भाग को इकार, उकार आदेश होते है)। है..-I.in 53 देखें-हकोः I. iv.53 हकोः -I.iv.53 हब एवं कृञ् धातु का (अण्यन्त अवस्था का जो कर्ता, वह ण्यन्त अवस्था में विकल्प से कर्मसंज्ञक होता है)। हत्-VI.. 61 (वेदविषय में हृदय शब्द के स्थान में) हृत् आदेश हो बाता है, (शस प्रकार वाले प्रत्ययों के परे रहते)। हत्-VI. 1.49 (हृदय. शब्द को) हुत् आदेश होता है; (लेख, यत्, अण् तथा लास परे रहते)। . लास = कूदना,प्रेमालिान,लियों का नाच,रस। हवे:-VII. 1. 29: (लोम विषय में) हष् धातु को निष्ठा परे रहते इट् आगम विकल्प से नहीं होता है)। . हे-VIII. iii. 26 (मकारपरक) हकार के परे रहते (पदान्त मकार को विकल्प से मकारादेश होता है)। हे:-VI. iv. 101 (हु तथा झलन्त से उत्तर हलादि) हि के स्थान में घि आदेश होता है)। हे:-VI. iv. 105 (अकारान्त अङ्ग से उत्तर) हि का (लुक हो जाता है)। हे:- VII. Iii. 56 'हि गतौ' धातु के (हकार को कवर्गादेश होता है, चङ् परेन हो तो)। हे:- VIII. 1. 93 (पछे गये प्रश्न के प्रत्यत्तर वाक्य में वर्तमान) हि शब्द को विकल्प करके प्लुत उदात्त होता है)। ...हेति...-III. 1.97. . देखे-ऊतियूति III. II.97 हेत...-IN. I. 20. . . देखें-हेतुताकील्यI. .201.
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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