SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 534
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 516 पट्याः ...वष्टि... - VI. 58 षष्ठी -II. iii. 38 देखें-पंक्तिविशति० V.1.58 (जिसकी क्रिया से क्रियान्तर लक्षित हो, उसमें अनादर पष्टिका - V.1.89 गम्यमान होने पर) षष्ठी विभक्ति होती है (तथा चकार (ततीयासमर्थ षष्टिरात्र प्रातिपदिक से) षष्टिक शब्द का। से सप्तमी भी)। निपातन किया जाता है.(पकाया जाता है' अर्थ में)। षष्ठी-II. iii. 50 ...वष्टिकात् -v.ii.3 (कर्मादियों से और प्रातिपदिकार्थ से भिन्न स्वस्वामिदेखें - यवयवकov.ii.3 भाव-सम्बन्ध आदि की विवक्षा होने पर) षष्ठी विभक्ति पष्टिरात्रेण -V.i.89 होती है। ततीयासमर्थ षष्टिरात्र प्रातिपदिक से (पकाया जाता है। षष्ठी -VI. ii. 60 अर्थ में षष्टिक शब्द का निपातन किया जाता है)। षष्ठ्यन्त (पूर्वपद राजन् शब्द को प्रत्येनस शब्द उत्तरपद . षष्ट्यादेः-v.ii. 58 रहते विकल्प से प्रकृतिस्वर होता है)। (षष्ठीसमर्थ सङ्ख्या आदि में न हो जिनके ऐसे षष्ठी... - VIII. 1. 20 सङ्ख्यावाची) षष्टि आदि प्रातिपदिकों से (भी 'पूरण' देखें - षष्ठीचतुर्थी. VIII. I. 20 . अर्थ में विहित डट् प्रत्यय को नित्य ही तमट का आगम षष्ठीचतुर्थीद्वितीयास्थयो: - VIII. 1. 20 होता है)। (पद से उत्तर) षष्ठ्यन्त, चतुर्थ्यन्त तथा द्वितीयान्त (अपषष्ठ.. -V.ifi.50 दादि में वर्तमान युष्मद् तथा अस्मद् शब्दों के स्थान में देखें- षष्ठाष्टमाभ्याम् V. iii. 50 क्रमशः वाम् तथा नौ आदेश होते हैं एवं उन आदेशों को अनुदात्त भी होता है)। षष्ठाष्टमाभ्याम् - V. iii. 50 'भाग' अर्थ में वर्तमान) षष्ठ और अष्टम शब्दों से (ज षष्ठीयुक्तः - I. iv.9 तथा अन् प्रत्यय होते हैं; वेदविषय को छोड़कर)। षष्ठ्यन्त शब्द से युक्त (पति शब्द छन्द-विषय में षष्ठी-I. I. 48 विकल्प से घिसञ्जक होता है)। (इस शास्त्र में) षष्ठी विभक्ति.(यदि अन्य किसी से पठ्या -II.1.16 सम्बद्ध नहीं हो तो स्थान के साथ सम्बन्धवाली होती है)। षष्ठ्यन्त (सुबन्त) के साथ (पार और मध्य शब्द का षष्ठी -II. 1.8 (विकल्प से अव्ययीभाव समास होता है तथा समास के सन्नियोग से इन शब्दों को एकारान्तत्व भी निपातन से षष्ठ्यन्त सुबन्त (समर्थ के साथ समास को प्राप्त होता हो जाता है)। है और वह तत्पुरुष समास होता है)। षष्ठ्या : - V. iii. 54 षष्ठी -II. iii. 26 (भूतपूर्व' अर्थ में) षष्ठीविभक्त्यन्त प्रातिपदिक से (हेतु शब्द के प्रयोग और हेतु द्योत्य होने पर) षष्ठी (रूप्य और चरट् प्रत्यय होते हैं)। विभक्ति होती है । षष्ठ्या : - V. iv. 48 षष्ठी -II. ii. 30 (भिन्न भिन्न पक्षों का आश्रयण गम्यमान हो तो) षष्ठी(अतसच के अर्थ वाले प्रत्यय के योग में) षष्ठी विभक्त्यन्त प्रातिपदिक से विकल्प से तसि प्रत्यय होता विभक्ति होती है। षष्ठी-II. 11.34 षष्ठ्या : - VI. iii. 20 (दार्थक और अन्तिकार्थक शब्दों के योग में विकल्प (आक्रोश गम्यमान होने पर उत्तरपद परे रहते) षष्ठी . से) षष्ठी विभक्ति होती है.(पक्ष में पञ्चमी भी)। विभक्ति का (अलुक होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy