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________________ ...लक्षण... ... श्लक्ष्ण... - III. 1. 21 देखें - मुण्डमिश्रo III. 1. 21 ... श्लक्ष्णैः - II. 1. 30 देखें पूर्वसदृशसमो० 11. 1. 30 - श्लाघ... - I. iv. 34 देखें - श्लाघस्वाशपाम् 1. Iv. 34 श्लाघहुड्स्थाशपाम् - I. iv. 34 श्लाम, हुइ, स्था तथा शप् धातुओं के प्रयोग में जो जनाये जाने की इच्छा वाला है, उस कारक की सम्प्रदान संज्ञा होती है)। - श्लाघा... - V. 1. 133 देखें श्लाघात्याकारतदवेतेषु V. i. 133 = (षष्ठीसमर्थ गोत्रवाची तथा चरणवाची प्रातिपदिकों से) 'श्लाघा' = प्रशंसा करना, 'अत्याकार' अपमान करना तथा 'तदवेत' = उससे युक्त इन विषयों में (भाव और कर्म अर्थों में वुञ् प्रत्यय होता है) । श्लाघात्याकार० V. 1. 133 .....ल... - III. 1. 141 देखें श्याद्व्य० III. 1. 141 - -- 513 ... प्रलय... - III. Iv. 72 देखें लिए 111.1.46 श्लिष् धातु से उत्तर (चिल के स्थान में क्स आदेश होता है; आलिङ्गन अर्थ में लुङ् परे रहने पर) । - गत्यर्थाकर्मक० III. iv. 72 - ... श्लु... I. i. 70 देखें - लुक्श्लुलुपः I. 1. 70 :- II. iv. 75 श्लु आदेश होता है, (शप के स्थान में जुहोत्यादि धातुओं से उत्तर) । श्लुक्त् - III. 1. 39 (भी, ही . हु इन धातुओं से अमन्त्रविषयक लिट् परे रहते विकल्प से आम् प्रत्यय होता है तथा इनको ) श्वत् कार्य अर्थात् श्लु के परे होने पर जो कार्य होने चाहियें, वे भी हो जाते हैं। ....श्लोक... - III. 1. 25 देखें - सत्यापपाशo III. 1. 25 ... श्लोक... - III. 1. 23 देखें - शब्दश्लोक० III. II. 23 श्लौ - VI. 1. 10 श्लु के परे रहते (धातु के अनभ्यास अवयव प्रथम एका तथा अजादि के द्वितीय एकाच को द्वित्व होता है) । yet - VII. iv. 75 (निजिर् इत्यादि तीन धातुओं के अभ्यास को) श्लु होने पर. (गुण होता है)। श्व... - IV. 1. 95 देखें – श्वास्यलंकारेषु IV. II. 95 श्व... - VI. iv. 133 देखें- श्वयुवमघोनाम् VI. Iv. 133 श्वगणात् - IV. iv. 11 (तृतीयासमर्थ) श्वगण प्रातिपदिक से (ठञ् तथा ष्ठन् प्रत्यय होते हैं। ... श्वठ... - VI. 1. 210 देखें - त्यागरागo VI. 1. 210 श्वश्वा ... श्वन्... - VI. 1. 176 देखें गोश्वन् VI. 1. 176 - श्वयते: - VII. iv. 18 दुओश्वि अङ्ग को (अह परे रहते अकारादेश होता है)। श्वयुवमघोनाम् VI. I. 133 — भसक श्वन्, युवन् मघवन् अङ्ग को तद्धितभिन्न प्रत्यय परे रहते सम्प्रसारण होता है)। श्वशुरः - I. ii. 71 श्वशुर शब्द (श्वश्रू शब्द के साथ विकल्प से शेष रह जाता है, श्वश्रू शब्द हट जाता है)। ... श्वशुरात् - IV. 1. 137 देखें – राजश्वशुरात् IV. 1. 137 - श्वश्र्वा - I. 1. 71 श्व शब्द के साथ (श्वशुर शब्द विकल्प से शेष रह जाता है, श्वश्रू शब्द हट जाता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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