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________________ 486 विशेषणम् ..विश्यः -VII. 1. 24 देखें-सन्निविभ्यः VII. ii. 24 ...विश्य: - VIII. iii.70 देखें-परिनिविभ्य: VIII. iii. 70 ...विभ्य: - VIII. iii.76 देखें-निनिविभ्यः VIII. iii. 76 ...विभ्याम् -I. iii. 27 देखें-उद्विभ्याम् I. iii. 27 ...विभ्याम् - V.iv. 148 देखें - उद्विभ्याम् V. iv. 148 ...विभ्याम् -VI. . 181 देखें-निविभ्याम् VI. ii. 181 ...विमति... -I. iii. 47 देखें - भासनोपसम्भाषा० I. iii. 47 विमुक्तादिभ्यः -v.ii.61 विमुक्तादि प्रातिपदिकों से (अध्याय' और 'अनुवाक' अभिधेय हों तो मत्वर्थ में अण प्रत्यय होता है)। विमोहने - VII. ii. 54 व्याकुल करने अर्थ में (वर्तमान लुभ धातु से उत्तर क्त्वा तथा निष्ठा को इट् आगम होता है)। विराम: -I. iv. 109 विराम = वर्णोच्चारण के अभाव की (अवसान संज्ञा होती है)। ...विरिब्ध...-VII. 1. 18 देखें-क्षुब्धस्वान्त० VII. ii. 18 विरोधः -II. iv.9 विरोध - वैर (जिनका स्वाभाविक है. तद्वाची शब्दों का द्वन्द्व एकवद् होता है)। विवधात् - IV. iv. 17 (तृतीयासमर्थ) विवध प्रातिपदिक से (विकल्प से ष्ठन प्रत्यय होता है)। विवध = बोझा ढोने के लिये जूआ,मार्ग,अनाज का संग्रह,घड़ा। ...विविच्... -III. ii. 142 देखे-सम्पृचानुरुध III. ii. 142 ...तिश... -III. iii. 16 देखें- पदरुज III. iii. 16 विश: -I. iii. 17 (नि उपसर्ग से उत्तर) 'विश्' धातु से (आत्मनेपद होता ...विश: -I. iv. 47 देखें-अभिनिविशः I. iv. 47 विशस्तृ - VII. 1.34 विशस्तृ शब्द वेदविषय में इडभावयुक्त निपातित है। विशाखयोः -I. ii. 62 विशाखा (नक्षत्र) के (द्वित्व अर्थ में भी विकल्प करके एकवचन होता है, छन्द विषय में)। ...विशाखा... - IV. iii. 34 देखें- अविष्ठाफल्गुन्य० IV. iii.34 विशाखा... -V.. 109 देखें - विशाखाषाढात् V.i. 109 विशाखाषाढात् - V. 1. 109 (प्रयोजन समानाधिकरणवाची प्रथमासमर्थ) विशाखा तथा आषाढ प्रातिपदिकों से (यथासङ्ख्य करके मन्थ = मथन का साधन तथा दण्ड अभिधेय होने पर षष्ठयर्थ में . अण् प्रत्यय होता है)। ...विशाम् - VII. ii. 68 देखें- गमहन0 VII. ii. 68 ...विशाल... -v.iii. 84 देखें- शेवलसुपरि० . iii. 84 विशि... -III. iv.56 देखें-विशिपतिपदिO III.iv.56 विशिपतिपदिस्कन्दाम् -III. iv. 56 (व्याप्यमान तथा आसेव्यमान गम्यमान हों तो द्वितीयान्त उपपद रहते) विशि, पति, पदि तथा स्कन्द धातुओं से (णमुल प्रत्यय होता है)। विशिष्टलिङ्गः-II. iv.7 भिन्न लिङ्ग वाले (नदीवाचकों और ग्रामवर्जित देशवाचियों का द्वन्द्व एकवद् होता है)। . विशेष: -I.ii. 65 (वृद्ध = गोत्र प्रत्ययान्त शब्द युवा प्रत्ययान्त के साथ शेष रह जाता है,यदि वृद्ध-युव-प्रत्ययनिमित्तक ही) भेद हो तो। विशेषणम् -II..56 विशेषणवाचक (सुबन्त) शब्द (समानाधिकरण विशेष्यवाची सुबन्त शब्द के साथ बहुल करके समास को प्राप्त होता है और वह तत्पुरुषसंज्ञक होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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