SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 502
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विभाषा 484 विभाषा विभाषा -VI. iii. 23 विभाषा - VI. iv. 57 (स्वस तथा पति शब्द के उत्तरपद रहते विद्या तथा (आप से उत्तर ल्यप परे रहते) विकल्प से (णि के स्थान योनि-सम्बन्धवाची ऋकारान्त शब्दों में उत्तर षष्ठी का) में अयादेश होता है)। विकल्प से (अलुक होता है)। विभाषा-VI. iv. 137 विभाषा-VI. iii. 48 (ङि तथा शी विभक्ति परे रहते अन् के अकार का (सबको अर्थात् द्वि,अष्टन् तथा त्रि को जो कुछ भी कह लोप) विकल्प से (होता है)। आयें है, वह चत्वारिंशत् आदि सङ्ख्या उत्तरपद रहते, विभाषा -VI. iv. 162 बहुव्रीहि समास तथा अशीति को छोड़कर) विकल्प करके (ऋतु अङ्ग के हलादि,लघु ऋकार के स्थान में) विकल्प से (र आदेश होता है,वेदविषय में; इष्ठन् इमनिच,ईयसुन् विभाषा-VI. iii.71 परे रहते)। (कृदन्त उत्तरपद रहते रात्रि शब्द को) विकल्प करके (मुम् आगम होता है)। विभाषा - VII.1.7 विभाषा - VI. iii. 87 (विद् अङ्ग से उत्तर झ् के स्थान में हुआ जो अत् आदेश, (उदर शब्द उत्तरपद रहते य् प्रत्यय परे हो तो समान उसको) विकल्प से (रुट आगम होता है)। शब्द को) विकल्प करके (स आदेश हो जाता है)। विभाषा - VII. 1. 69 विभाषा - VI. ii. 99 (लम् अङ्ग को चिण् तथा णमुल प्रत्यय परे रहते) .. (अर्थ शब्द उत्तरपद हो तो अषष्ठीस्थित तथा अतृतीया- विकल्प से (तुम् आगम होता है)। स्थित अन् शब्द को) विकल्प करके (दुक आगम होता विभाषा-VII.1.97 (तृतीयादि अजादि विभक्तियों के परे रहते क्रोष्टु शब्द विभाषा -VI. iii. 105 को) विकल्प से (तृज्वत् अतिदेश होता है)। (पुरुष शब्द उत्तरपद हो तो) विकल्प से (कु शब्द को विभाषा-VII. 1.6 का आदेश हो जाता है)। (ऊर्गुञ् अङ्ग को परस्मैपदपरक इडादि सिच् परे रहते) विभक्तौ - VI. iii. 131 विकल्प से (वृद्धि नहीं होती)। . . (मन्त्र-विषय में प्रथमा से भिन्न) विभक्ति के परे रहते विभाषा-VII. II. 15 (ओषधि शब्द को भी दीर्घ हो जाता है)। (जिस धातु को कहीं भी इट् विधान) विकल्प से किया विभाषा-VI. iv. 17 गया हो,उसको निष्ठा के परे रहते इडागम नहीं होता)। (तन अङ्ग की उपधा को झलादि सन् परे रहते) विकल्प से (दीर्घ होता है)। विभाषा-VII. I. 17 विभाषा-VI. iv. 32 (भाव तथा आदिकर्म में वर्तमान आकार इत्सज्जक (जकारान्त अङ्ग के तथा नर धातुओं को निष्ठा परे रहते) विकल्प से (इट आगम नहीं करके (नहीं होता)। होता)। विभाषा - VI. iv. 43 विभाषा - VII. 1.65 (यकारादि कित, ङित् प्रत्ययों के परे रहते अन, सन, (सज् तथा दृशिर् अङ्ग के थल् को) विकल्प से (इट् खन् अङ्गों को) विकल्प से (आकारादेश हो जाता है)। आगम नहीं होता)। विभाषा -VI. iv. 50 विभाषा-VII. 1.68 (हल् से उत्तर 'क्य' का) विकल्प से (लोप होता है, (गम्ल, हन, विद्ल, विश् - इन अङ्गों से उत्तर वसु आर्धधातुक परे रहते)। को) विकल्प से (इट आगम होता है)। नकार का लोप) विकल्प चातुजा काटना पर रहत) विकल
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy