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________________ विभाषा 482 विभाषा विभाषा - v. iv. 15 विभाषा - VI. i. 118 (जिस बहुव्रीहि से समासान्त प्रत्यय का विधान नहीं (सर्वत्र = छन्द तथा भाषा विषय दोनों में,गो शब्द के किया है, उससे) विकल्प करके (कप् प्रत्यय होता है)। पदान्त एङ को) विकल्प से (अकार परे रहते प्रकृतिभाव विभाषा - V. iv. 20 होता है)। (आसन्नकालिक क्रिया के अभ्यावृत्ति के गणन अर्थ में विभाषा-VI. 1. 130 वर्तमान बहु प्रातिपदिक से) विकल्प से (धा प्रत्यय होता (लिट् तथा यङ् के परे ग्रहते टुओश्वि धातु को) विकल्प . से (सम्प्रसारण हो जाता है)। विभाषा -V. iv. 52 विभाषा-VI.i. 175 (कृ,भूतथा अस् धातु के योग में सम् पूर्वक पद् धातु (षट्सज्ञक,त्रि तथा चतुर् शब्द से उत्पन्न जो झलादि के कर्ता में वर्तमान प्रातिपदिक से 'सम्पूर्णता' गम्यमान विभक्ति शब्द का उपोत्तम) विकल्प से (भाषाविषय में हो तो) विकल्प से (साति प्रत्यय होता है)। उदात्त होता है)। विभाषा - V. iv. 72 विभाषा -VI. . 202 (नञ् से परे जो पथिन् शब्द,तदन्त तत्पुरुष से समासान्त । (रिक्त शब्द में) विकल्प से (आधुदात्तत्व होता है)। प्रत्यय) विकल्प से (नहीं होता)। विभाषा-VI.i. 209 विभाषा -V.. 130 . (वेणु तथा इन्धान शब्दों के आदि को) विकल्प से (ऊर्ध्व शब्द से उत्तर जो जानु शब्द,उसको) विकल्प से (उदात्त होता है)। (समासान्त शु आदेश होता है, बहुव्रीहि समास में)। विभाषा - VI. ii. 67 विभाषा-V. iv. 144 (अध्यक्ष शब्द उत्तरपद रहते पूर्वपद को) विकल्प से . (श्याव तथा अरोक शब्दों से उत्तर दन्त शब्द को) (आधुदात्त होता है)। विकल्प से (समासान्त दतृ आदेश होता है, बहुव्रीहि विभाषा -VI. 1. 161 समास में)। (न से उत्तर तृप्रत्ययान्त एवं अन्न, तीक्ष्ण तथा शुचि श्याव = पीला; उत्तरपद शब्दों को) विकल्प से (अन्तोदात्त होता है)। अरोक = मैला, गन्दा। विभाषा-VI. 1. 164 विभाषा - V. iv. 149 (वेदविषय में संख्या शब्द से परे स्तन शब्द को बहतीहि (पूर्ण शब्द से उत्तर काकुद शब्द का) विकल्प से (समा समास में) विकल्प से (अन्तोदात्त होता है)। सान्त लोप होता है, बहुव्रीहि समास में)। विभाषा - VI. ii. 196 विभाषा -VI.i. 27 (तत्पुरुष समास में उत्पुच्छ शब्द को) विकल्प से (अन्तो(अभि तथा अव पूर्व वाले श्यैङ् धातु को निष्ठा परे दात्तत्व होता है)। रहते) विकल्प से (सम्प्रसारण होता है)। विभाषा-VI.1.43 विभाषा - VI. iii. 12 (परि उपसर्ग से उत्तर व्ये धातु को विकल्प करके (बन्ध शब्द उत्तरपद रहते भी हलन्त तथा अदन्त शब्द (सम्प्रसारण नहीं होता है)। से उत्तर सप्तमी का) विकल्प करके (अलुक् होता है)। विभाग-VI. 1. 50 विभाषा - VI. ii. 15 (ली धातु को ल्यप् परे रहते तथा एच् के विषय में) (वर्ष, क्षर, शर,वर - इन शब्दों से उत्तर सप्तमी का ज 'विकल्प से (उपदेश अवस्था में ही आत्व हो जाता है)। उत्तरपद रहते) विकल्प से (अलुक् होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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