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________________ विभाषा 482 विभाषा.. से) विकल्प से (लिङ् प्रत्यय होता है, यदि अलम् शब्द विभाषा – IV. iv. 113 का अप्रयोग सिद्ध हो)। (सप्तमीसमर्थ स्रोतस् प्रातिपदिक से वेदविषय में भविभाषा-III. iii. 160 वार्थ में) विकल्प से (ड्यत ड्य - दोनों प्रत्यय होते हैं)। (इच्छार्थक धातुओं से वर्तमान काल में) विकल्प से विभाषा - V.1.4 (लिङ् प्रत्यय होता है, पक्ष में लट)। । (हविविशेषवाची तथा अपूप' इत्यादि प्रातिपदिकों से. विभाषा-III. iv. 24 क्रीत अर्थ से पूर्व पूर्व पठित अर्थों में) विकल्प से (यत् (अग्रे,प्रथम,पूर्व उपपद हों तो समानकर्तृक पूर्वकालिक प्रत्यय होता है)। धातु से) विकल्प से (क्त्वा,णमुल प्रत्यय होते हैं, पक्ष में । विभाषा-V.i. 28 लडादि लकार होते है)। (अध्यर्द्ध शब्द पूर्व में है जिसके, ऐसे तथा द्विगुसज्ञक विभाषा-V.I.34 कार्षापण एवं सहस्र-शब्दान्त प्रातिपदिक से 'तदर्हति'जिसके पूर्व में कोई शब्द विद्यमान हो, ऐसे पति- पर्यन्त कथित अर्थों में उत्पन्न प्रत्यय का) विकल्प से (लुक् . शब्दान्त अनुपसर्जन प्रातिपदिक को स्त्रीलिङ्ग में ङीप् होता है। प्रत्यय विकल्प से हो जाता है, तथा नकारादेश भी हो विभाषा - V.ii. 4 जाता है, (डीप् न होने पर नकारादेश भी नहीं)। (षष्ठीसमर्थ धान्यविशेषवाची तिल, माष, उमा, भङ्गा विभाषा-IV.ii. 22 और अणु प्रातिपदिकों से) विकल्प करके (यत् प्रत्यय (प्रथमासमर्थ पौर्णमासी शब्द से समानाधिकरणवाले होता है, यदि इनका उत्पत्तिस्थान खेत वाच्य हो तो)।: फाल्गुनी,श्रवणा, कार्तिकी और चैत्री शब्दों से सप्तम्यर्थ में) विकल्प से (ढक प्रत्यय होता है.पक्ष में अण)। विभाषा -V.11.29 विभाषा-IV. ii. 117 (दिशा. देश और काल अर्थों में वर्तमान सप्तम्यन्त, . (उशीनर देश में जो वाहीक ग्राम वृद्धसंज्ञक हैं. उनसे) पञ्चम्यन्त तथा प्रथमान्त पर तथा अवर प्रातिपदिकों से). विकल्प से (ठञ् तथा जिल् शैषिक प्रत्यय होते है)। विकल्प से (स्वार्थ में अतसुच् प्रत्यय होता है)। विभाषा-IV.ii. 129 विभाषा - V. iii. 42 (कुरु तथा युगन्धर जनपदवाची शब्दों से) विकल्प से (सप्तमी, पञ्चमी,प्रथमान्त दिशा, देश तथा कालवाची (शैषिक वुञ् प्रत्यय होता है)। अवर शब्द को अस्तात् प्रत्यय परे रहते) विकल्प से (अव् विभाषा-IV. ii. 143 आदेश होता है)। (अमनुष्य अभिधेय हो तो पर्वत शब्द से) विकल्प से विभाषा - V.iii. 68 (छ प्रत्यय होता है, पक्ष में अण)। (किञ्चित् न्यून' अर्थ में वर्तमान सुबन्त से) विकल्प से विभाषा-IV. iii. 13 (बहुच् प्रत्यय होता है और वह सुबन्त से पूर्व में ही होता (कालविशेषवाची शरत् शब्द से रोग तथा आतप अभिधेय हो तो ठञ् प्रत्यय) विकल्प से होता है)। विभाषा - V.iv.8 विभाषा-IV. iii. 24 (दिशावाची स्त्रीलिङ्ग न हो तो अञ्चति उत्तरपदवाले (कालवाची पर्वाह्न अपराह्न शब्दों से) विकल्प से (ट्यु प्रातिपदिक से स्वार्थ में) विकल्प से (ख प्रत्यय होता है)। तथा ट्युत् प्रत्यय होते हैं, उन प्रत्ययों को तुट् आगम भी होता है)। विभाषा-v.iv. 10 विभाषा-IV. iv. 17 (स्थान-शब्दान्त प्रातिपदिक से) विकल्प से (छ प्रत्यय (तृतीयासमर्थ विवध तथा वीवध प्रातिपदिकों से) होता है, यदि समान स्थान वाले सदृश व्यक्ति द्वारा स्थानान्त प्रतिपाद्य तत्त्व अर्थवत हो तो)। विकल्प से (ष्ठन् प्रत्यय होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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