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________________ लिहि 440 लिटि लिङि-VII. ii. 39 लिट्-III. 1. 105 (वृ तथा ऋकारान्त धातुओं से उत्तर इट् को) लिङ् परे (वेदविषय में भूतकाल सामान्य में धातुमात्र से) लिट् रहते (दीर्ष नहीं होता। प्रत्यय होता है)। लिङि -VII. iv. 24 लिट् -III. ii. 115 (उपसर्गों से उत्तर 'इण् गतौ' अङ्ग को यकारादि कित्, (अनद्यतन परोक्ष भूतकाल में वर्तमान धातु से) लिट् डित) लिङ् परे रहते (हस्व होता है)। प्रत्यय होता है। ...लिडोः -I. iii. 61 लिट् -III. ii. 171 - देखें-लुलिडो: I. 11.61 (आत् = आकारान्त,ऋ = ऋकारान्त तथा गम,हन, ...लिड्छ-VII. iv. 28 जन् धातुओं से तच्छीलादि कर्ता हो तो वेदविषय में देखें-शयग्लिक्षु VII. iv. 28 वर्तमानकाल में कि तथा किन प्रत्यय होते हैं और उन ...लिङ्ग.. -II. iii. 46 कि,किन् प्रत्ययों को) लिट् के समान कार्य होता है। देखें -प्रातिपदिकार्थलिग II. iii. 46 लिट् -III. iv. 115 लिङ्गम् -II. iv. 26 . लिडादेश जो तिबादि. उनकी (भी आर्धधातुक संज्ञा लिङ्ग (पर के समान होता है, द्वन्द्व और तत्पुरुष का)। होती है)। लिनिमित्ते -II. iii. 139 लिट....-VI.i.29 (भविष्यत्काल में) लिङ्गका निमित्त होने पर क्रिया का देखें-लिड्यो : VI.1.29 उल्लंघन अथवा सिद्ध न होना गम्यमान हो तो घातु से लिट: -III. 1. 106 लुङ् प्रत्यय होता है)। . (वेदविषय में भूतकाल में विहित) लिट के स्थान में लिड्लटौ-III. iii. 144 (विकल्प से कानच् आदेश होता है)। . (किंवृत्त उपपद हो तो गर्दा गम्यमान होने पर धातु से) ...लिट: - III. iv.7 लिङ् तथा लुट् प्रत्यय होते हैं। देखें - लुङ्लड्लिटः III. iv.7 लिलोटौ - III. iii. 157 लिट: -III. iv. 81 (इच्छार्थक धातुओं के उपपद रहते) लिङ् तथा लोट् लिट् के स्थान में (जो त और झ आदेश, उनको प्रत्यय होते हैं। यथासङ्ख्य करके एश् तथा इरेच आदेश होते है)। लिङ्लोटौ - III. il. 173 ...लिटाम् -VIII. iii. 78 (आशीर्वादविशिष्ट अर्थ में वर्तमान लिङ तथा देखें-पीध्वंलुटिलटाम् VIII. iii. 78 लोट् प्रत्यय होते हैं। लिटि-II. iv.40 लिङ्सिचो: - VII. ii. 42 (अद् को विकल्प से घस्लु आदेश होता है) लिट् के (वृ तथा ऋकारान्त धातुओं से उत्तर आत्मनेपदपरक) परे रहते। लिङ् तथा सिच को विकल्प से इट् आगम होता है)। लिटि - II. iv. 49 लिसियो -I.ii. 10 ___(आर्धधातुक) लिट् परे रहते (इङ् को गाङ् आदेश होता (इक के समीप जो हल् उससे परे) लिङ् और सिच् है)। प्रत्यय (आत्मनेपदविषय में कित्वत् होते है)। लिटि-II. iv.55 लिट्-1.11.5. (आर्धधातक) लिट परे रहने पर (चक्षिक को विकल्प से (असंयोगान्त धातु से परे अपित) लिट् प्रत्यय (कित्वत् ख्या आदेश होता है)। ' होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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