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________________ ...लघूपधस्य 446 ...लघूपधस्य-VII. iii. 86 लट् - III. ii. 122 देखें-पुगन्तलघूपधस्य VII. iii. 86 (वर्तमान काल में विद्यमान धातु से) लट् प्रत्यय होता लयोः -VI. iv. 161 (हल् आदिवाले भसञ्ज्ञक अङ्ग के) लघु (ऋकार) के लट् - III. iii. 4 स्थान में (र आदेश होता है; इष्ठन्, इमनिच तथा ईयसुन्। (यावत् तथा पुरा निपातों के उपपद रहने पर भविष्यत परे रहते)। काल में धातु से) लट् प्रत्यय होता है। लघोः -VII.i.7 (हलादि अङ्ग के) लघु (अकार) को (परस्मैपदपरक लट् -III. iii. 142 इडादि सिच् के परे रहते विकल्प से वृद्धि नहीं होती)। (निन्दा गम्यमान हो तो अपि तथा जातु उपपद रहते लघो: - VII. iv. 94 धातु से) लट् प्रत्यय होता है। (चङपरक णि के परे रहते अङ्ग के) लघु अभ्यास को लटः -III. ii. 128 (लघुधात्वक्षर परे रहते दीर्घ होता है)। (धातु से) लट् के स्थान में (शतृ तथा शानंच आदेश लङ्-III. ii. 111 होते हैं, यदि अप्रथमान्त के साथ उस लट् का सामाना(अनद्यतन भूतकाल में धातु से) लङ् प्रत्यय होता है। धिकरण्य हो)। लङ्-III. ii. 116 लटः - III. iv. 83 (ह,शश्वत् - ये शब्द उपपद हों तो धातु से अनद्यतन (विद् ज्ञाने धातु से) लडादेश (तिप् आदि) जो परस्मैपरोक्ष भूतकाल में) लङ् प्रत्यय होता है (और चकार से पदसंज्ञक,उनके स्थान में (क्रमशः णल्, अतुस, उस्, थल, लिट भी होता है)। अथुस्, अ,णल्,व,म-9 आदेश विकल्प से होते है)। लड्-III. iii. 176 लप... - III. ii. 145 (स्म शब्द अधिक है जिससे,उस माङ् शब्द के उपपद देखें-लपसुद्० III. ii. 145 , रहते धातु से) लङ् (तथा लुङ प्रत्यय होते हैं)। लपसूद्रुमथवदवस: - III. ii. 145 ...लङ्... -III. iv.7 (प्र पूर्वक) लप, सृ,द्रु,मथ,वद, वस्- इन धातुओं से देखें - लुङ्लङ्लिटः III. iv.7 (तच्छीलादि कर्ता हों तो वर्तमानकाल में घिनुण प्रत्यय ...लङ्... - VI. iv. 71 होता है)। देखें-लुड्लड्ल ङ्घ VI. iv.71 ...लपि... - III. I. 126 लङ - III. iv. 111 देखें - आसुयुवपि III. 1. 126 (आकारान्त धातुओं से उत्तर) लङके स्थान में (जो झि आदेश, उसको जुस आदेश होता है, शाकटायन के मत ...लब्ध... - IV. iii. 38 देखें-कृतलब्ध IV. iii. 38 लब्धा - IV. iv. 84 लड्व त् -III. iv.85 (द्वितीयासमर्थ धन और गण प्रातिपदिकों से) प्राप्त करने (लोट् लकार को) लङ् के समान कार्य हो जाते हैं। वाला अभिप्रेत हो (तो यत् प्रत्यय होता है)। लच् - V. ii. 96 ...लभ... - VII. iv. 54 (प्राणिस्थवाची आकारान्त प्रातिपदिकों से 'मत्वर्थ' में देखें-मीमाधु० VII. iv. 54 विकल्प से) लच प्रत्यय होता है। लभे: -VII. 1.64 लट् -III. ii. 118 (शप् तथा लिट्वर्जित अजादि प्रत्ययों के परे रहते) . (परोक्ष अनद्यतन भूतकाल में वर्तमान धातु से स्म शब्द ___ 'डुलभष् प्राप्तो' अङ्ग को (भी नुम् आगम होता है)। उपपद रहते) लट् प्रत्यय होता है। में ही)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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