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________________ 407 (पूजित' अर्थ में वर्तमान) भ्रातृ-शब्दान्त (बहुव्रीहि) से (समासान्त कप् प्रत्यय नहीं होता है)। प्रातृ... -I.ii. 68 देखें - प्रातृपुत्रौ I. ii. 68 भ्रातृपुत्रौ -I.ii. 68 प्रातृ और पुत्र शब्द (यथाक्रम स्वस और दुहितृ शब्दों के साथ शेष रह जाते हैं,स्वसृ तथा दुहितृ शब्द हट जाते प्रस्ज: -VI. iv. 47 प्रस्ज् धातु के (रेफ तथा उपधा के स्थान में विकल्प से रम् आगम होता है, आर्धधातक परे रहने पर)। ...अंसु... -VII. iv.84 देखें-वञ्चत्रंसु० VII. iv. 84 प्राज... -III. ii. 177 देखें - प्राजभासं० III. ii. 177 भ्राज... - VII. iv.3 देखें- प्राजभास. VII. iv. 3 ...प्राज... -VIII. ii. 36 देखें - वश्चभ्रस्ज. VIII. ii. 36 भ्राजभासधुर्विद्युतोर्जिपृजुग्रावस्तुकः -III. ii. 177 प्राज़,भास.धुर्वी धुत ऊर्जप.ज.पावपर्वकष्टजन धातुओं से (तच्छीलादि कर्ता हों. वर्तमानकाल में क्विप प्रत्यय होता है। प्राजभासभाषदीपजीवमीलपीडाम् - VII. iv. 3 प्राज,भास,भाष,दीपी.जीव मील.पीड-डन अङगों की.(उपधा को चङ्परक णि परे रहते विकल्प से हस्व होता है)। प्रातरि - IV.i. 164 (बड़े) भाई के (जीवित रहते पौत्रप्रभति का जो अपत्य छोटा भाई, उसकी भी युवा संज्ञा हो जाती है)। प्रातुः - IV. 1. 144 प्रातृ शब्द से (अपत्य अर्थ में व्यत् तथा छ प्रत्यय होता प्राश... -III. .70 देखें- प्राशलाश III.i. 70 प्राशभ्लाशप्रमुक्रमुक्लमुत्रसित्रुटिलष: - III. I. 70 टुभ्राश,टुभ्लाश्ल, भ्रम,क्रम,क्लमु,सि,त्रुटि,लष् - इन धातुओं से (विकल्प से श्यन् प्रत्यय होता है.कर्तवाची सार्वधातुक परे रहते)। ...प्राष्ट्र... - VI. ii. 82 देखें-दीर्घकाश VI. ii. 82 ध्रुवः - IV. 1. 125 .प्रातिपदिक से (अपत्य अर्थ में ढक् प्रत्यय होता है). तथा भ्रू को (वुक का आगम भी होता है)। ....ध्रुवाम् - VI. iv. 77 देखें -श्नुधातु0 VI. iv.77 ...भ्रूण... -III. ii. 87 देखें-ब्रह्मभ्रूण III. ii. 87 ...प्रौणहत्य... - VI. iv. 174 देखें - दण्डिनायनहास्तिक VI. iv. 174 ...श्लाश... - III. 1.70 देखें-प्राशमलाश III. 1.70 धातुः - V. iv. 157 म्... -I.i. 38 देखें-मेजन्तः I. 1. 38 म्... -VI. iv. 107 - देखें-म्वो: VI. iv. 107 ...म्... - VII. ii.5 देखें-हम्यन्तक्षण VII. ii.5 म्... - VIII. ii. 65 देखें-म्वो: VIII. ii. 65 म-प्रत्याहारसूत्र VII भगवान् पाणिनि द्वारा अपने सप्तम प्रत्याहारसूत्र में पठित द्वितीय वर्ण। पाणिनि द्वारा अष्टाध्यायी के आदि में पठित वर्णमाला का सोलहवां वर्ण।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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