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________________ भृत्वृजिधारिसहितपिदमः 406 भृतवृजिधारिसहितपिदम: - III. ii. 46 (संज्ञा गम्यमान हो तो कर्म अथवा सुबन्त उपपद रहते) भृ, त, वृ,जि, धारि, सहि, तपि, दम् -इन धातुओं से (खच् प्रत्यय होता है)। भृतौ - III. ii. 22 भृति = वेतन गम्यमान होने पर (क्रियार्थक कर्म शब्द उपपद रहते 'कृ' धातु से 'ट' प्रत्यय होता है)। भृशादिभ्यः - III. i. 12 (च्यन्तवर्जित) भृश आदि प्रातिपदिकों से (भवति अर्थ में क्यङ् प्रत्यय होता है और हलन्तों का लोप भी)। ...भृशेषु - VII. ii. 18 देखें-मन्थमनस० VII. ii. 18 ...भेषजात् - IV.i. 30 देखें-केवलमामक IV.i. 30 ...मेक्जात् - V. iv. 23 देखें-अनन्तावसथ० V. iv. 23 भो... - VIII. iii. 17 देखें-भोभगो० VIII. iii. 17 भोग... -VIII. ii. 58 देखें - भोगप्रत्यययो: VIII. ii. 58 भोगप्रत्यययोः -VIII. ii. 58 (वित्त शब्द में विद्लु लाभे धातु से उत्तर क्त प्रत्यय के नत्व का अभाव) भोग = उपभोग तथा प्रत्यय = प्रतीति अभिधेय होने पर (निपातित होता है)। ..मोगोत्तरपदात् -v.i.8 देखें - आत्मविश्वजन V.i.8 भोजने - VIII. iii. 69 (वि उपसर्ग से उत्तर तथा चकार से अप उपसर्ग से उत्तर) भोजन अर्थ में (स्वन् धातु के सकार को मूर्धन्य आदेश होता है, अव्यवाय एवं अभ्यासव्यवाय में भी)। भोज्यम् - VII. iii. 69 भोज्यम् शब्द (भक्ष्य अभिधेय होने पर निपातन किया जाता है)। भोभगोअघोअपूर्वस्य - VII. ii. 17 भो.भगो.अघो तथा अवर्ण पर्व में है जिस (रु) के,उस (रु के रेफ) को (यकार आदेश होता है, अश् परे रहते)। भौरिक्यादि... -IV.ii. 53 . देखें - भौरिक्यायेषु० IV. ii. 53 भौरिक्यायेषुकार्यादिभ्यः -IV.ii. 53 . . (षष्ठीसमर्थ) भौरिकि आदि तथा ऐषुकारि आदि शब्दों से (विषयो देशे' अर्थ में यथासङ्ख्य विधल और भक्तल् प्रत्यय होते है)। भौरिकि = राजकीय कोषाध्यक्ष का पुत्र । भ्यम् - VII. I. 30 (युष्मद, अस्मद् अङ्ग से उत्तर भ्यस के स्थान में) (अथवा अभ्यम्) आदेश होता है। . ...ध्यस्... - IV.i.2 देखें - स्वौजसमौट IV.i. 2 ...भ्यस्... - IV.1.2 देखें- स्वौजसमौट IV.i.2 भ्यसः - VII. I. 30 (युष्मद्, अस्मद् अङ्ग से उत्तर) भ्यस् के स्थान में (प्यम् अथवा अभ्यम् आदेश होता है)। ...भ्याम्... -IV.i.2 देखें- स्वौजसमौट V.1.2 ...भ्याम्... -IV.i.2 देखें -स्वौजसमौट IV. 1.2 ....भ्याम्... - IV.1.2 देखें- स्वौजसमौट IV.i.2. ...वो: -III. iv. 61 देखें-कृथ्वोः III. iv.61 ...प्रटच -V.ii. 31 देखें-टीटजाटच्० V. ii. 31 ...अमर... - IV. iii. 118 देखें-क्षुद्राप्रमरवटर० IV. iii. 118. ...प्रमु... - III. 1.70 देखें- प्राशलाश III. 1.70 ...प्रमु... -VI. iv. 124 देखें - प्रमु० VI. iv. 124 ...अस्ज... -VII. ii. 49 देखें-इवन्तर्ध० VII. 1.49 ...प्रस्ज... - VIII. 1. 36 देखें-वश्वस्ज. VIII. ii. 36
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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