SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 423
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 405 ...ति... - भूते - III. 1.84 यहाँ से लेकर 'वर्तमाने लट्' III. ii. 123 तक 'भूते' का अधिकार जाता है, अर्थात् वहाँ तक जितने प्रत्यय-विधान करेंगे, वे सब भूतकाल में होंगे, ऐसा जानना चाहिये। भूते-III. III.2 (उणादि प्रत्यय) भूतकाल (के अर्थ) में भी (देखे जाते भूते-III. III. 140 (लिङ् का निमित्त हेतुहेतुमत् हो तो क्रियातिपत्ति होने पर) भूतकाल में (भी धातु से लुङ् प्रत्यय होता है)। ...भूभ्यः -II. iv.77 देखें- गातिस्थाधुपा० II. iv.77 ...भूमि.. - VIII. iii.97 . देखें-अम्बाम्बVIII. 1.97 भूवाचिदिधिषु - VI. ii. 19 .: (ऐश्वर्यवाची तत्पुरुष समास में पति शब्द उत्तरपद रहते पूर्वपद) भू, वाक्,चित् तथा दिधिषू शब्दों को (प्रकृतिस्वर नहीं होता)। दिधिषू = पुनर्विवाहिता स्त्री, अविवाहित बड़ी बहन जिसकी छोटी बहन विवाहिता हो। भूवादयः -I. ill.1 भू जिनके आदि में है तथा वा धातु के समान जो क्रियावाची शब्द हैं,वे (धातु संज्ञक होते हैं)। . भूषणे-I. iv.63 भूषण = अलंकार करने अर्थ में (वर्तमान अलं शब्द क्रियायोग में गति और निपात संज्ञक होता है)। भूषणे - VI. i. 132 भूषण = अलंकार अर्थ में (सम् तथा परि उपसर्ग से उत्तर कृ धातु के परे रहते ककार से पूर्व सुट् का आगम होता है,संहिता के विषय में)। भूसुधियो: - VI. iv. 85 भू तथा सुधी अङ्ग को (यणादेश नहीं होता, अजादि सुप परे रहते)। भूसुवोः -VII. II. 88 भू तथा पूङ् अङ्ग को (तिङ् पित् सार्वधातुक परे रहते गुण नहीं होता)। ...... -III. 1. 39 देखें-पीहीमहुवाम् III. 1. 39 भू.. -III. 1.46 देखें - मृतृव० II 11. 46 4..-VI. 1. 186 देखें-भीही० VI. 1. 186 ...भू... -VII. 1. 13 देखें-कसभ० VII. ii. 13 ...... -II. iv.65 देखें - अभिभृगुकुत्स II. vi. 65 भृगु... -Vi. 102 देखें- भृगुवत्सापाo IV.I. 102 भृगुवत्साप्रायणेषु - IV. 1. 102 (शरद्वत, शुनक और दर्भ प्रातिपदिकों से यथासङ्ख्य) भृगु, वत्स और आरायण गोत्रापत्य वाच्य हों (तो फक प्रत्यय होता है)। ...भृज्जतीनाम् - VI.1.16 देखें - अहिज्या० VI.1.16 ... ..-III. I.99 देखें-समजनिषद III. 1. 99 भूषः-III. I. 112 भृञ् धातु से (क्यप् प्रत्यय होता है, असंज्ञाविषय में)। भूषाम् - VII. iv.76 भृज,माङ् और ओहाङ् धातुओं के (अभ्यास को इकारादेश होता है, श्लु होने पर)। भृत - V. 1.79 (द्वितीयासमर्थ कालवाची प्रातिपदिकों से 'सत्कारपूर्वक व्यापार') 'खरीदा हुआ',(हो चुका' और 'होने वाला' -इन अर्थों में यथाविहित ठञ् प्रत्यय होता है)। ...भृतयः - V.i.55 . देखें- अंशवस्नभृतयः V.1.55 ...भूति... -1.11.37 देखें-सम्माननोत्स11.37
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy