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________________ भव् भष् - VIII. ii. 37 . (एक अच् वाला तथा झषन्त धातु का अवयव जो उसके अवयव बश् के स्थान में) भव् आदेश होता है, (झलादि सकार तथा झलादि ध्व शब्द के परे रहते एवं पदान्त में) । ... भसोः - VI. iv. 98 देखें – पसिमसो: VI. Iv. 98 भा... - VII. 1. 47 देखें- भवैषा VII. I. 47 मस्त्रादिभ्यः - IV. iv. 16 (तृतीयासमर्थ) भस्त्रादिगणपठित प्रातिपदिकों से (हरति- अर्थ में ष्ठन् प्रत्यय होता है)। - भस्त्रैषाजाज्ञाद्वास्वा: - VII. iii. 47 भस्त्रा, एषा, अजा, ज्ञा, द्वा, स्वा – ये शब्द (नञ् पूर्ववाले हों तो भी न हों तो भी; इनके आकार के स्थान में जो अकार, उसको उदीच्य आचार्यों के मत में इत्व नहीं होता) । - VI. iv. 129 भस्य यह अधिकारसूत्र है, अध्याय की समाप्तिपर्यन्त जायेगा । - भस्य - VII. i. 88 (पथिन्, मथिन् तथा ऋभुक्षिन् भसबक अगों के (टि भाग का लोप होता है ) । भा... - VIII. iv. 33° देखें- भाभूपू० VIII. Iv. 33 ... भाग... - I. iv. 89 देखें- लक्षणत्वम्भूताख्यानभाग० 1. iv. 89 भाग... • IV. iv. 120 देखें - भागकर्मणी IV. Iv. 120 399 .. भागधेय... - IV. 1. 30 देखें केवलमामक० IV. 1. 30 भागात् - V. 1. 48 (प्रथमासमर्थ) भाग प्रातिपदिक से (सप्तम्यर्थ में यत् और उन् प्रत्यय होते हैं, यदि 'वृद्धि' ब्याज के रूप में दिया जाने वाला द्रव्य, 'आय' = जमींदारों का भाग, 'लाभ' मूल द्रव्य के अतिरिक्त प्राप्य द्रव्य, 'शुल्क' = = = राजा का भाग तथा 'उपदा' = घूस जाता है' क्रिया के वाच्य हो तो)। ... भाज... IV. i. 42 देखें – जानपदकुण्ड० IV. 1. 42 .. भाण्ड... -III. 1. 20 देखें - पुच्छभाण्डचीवरात् III. 1. 20 भाभूपूकमिगमिप्यायीवेपामु - VIII. iv. 33 - - ... भार... - VI. ii. 38 देखें - व्रीह्यपराहण० VI. ii. 38 उपसर्ग में स्थित निमित्त से उत्तर भा, भू, पूञ्, कमि, गमि, ओप्यायी तथा वेप् धातुओं से (विहित अच् से उत्तर कृत्स्थ नकार को णकार आदेश नहीं होता) । - कृकण = एक प्रकार का तीतर। भारद्वाजे ... भार... - VI. iii. 59 देखें - मन्थौदन० VI. iii. 59 ... भारत... - VI. ii. 38 देखें. - व्रीहयपराह्णo VI. 1. 38 भारद्वाजस्य VII. ii. 63 भारद्वाज आचार्य के मत में (तास परे रहते नित्य अनिट् ऋकारान्त धातु से उत्तर तास् के समान ही थल् को इडागम नहीं होता । - - IV. ii. 144 — भाव... ... भारिषु - VI. III. 64 देखें चिततूलभारिषु VI. 1. 64 ये 'दिया भारद्वाज देश में वर्तमान (जो कृकण तथा पर्ण प्रातिपदिक, उनसे शैषिक छ प्रत्यय होता है) । भारात् - V. 1. 49 (वंशादिगणपठित प्रातिपदिकों से उत्तर) जो भार शब्द, तदन्त (द्वितीयासमर्थ) प्रातिपदिक से (हरण करता है', 'वहन करता है' और 'उत्पन्न करता है' अर्थों में यथाविहित प्रत्यय होते हैं)। भाव... - I. ii. 21 देखें - भावादिकर्मणोः I. ii. 21 भाव... - I. iii. 13 देखें - भावकर्मणोः I. iii. 13
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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