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________________ भाव... 400 भावी भाव.. -III.1.66 भावगर्हायाम् - III. 1. 24 देखें-भावकर्मणोः III.1.66 धात्वर्थ की निन्दा अभिधेय होने पर (लुप, सद, चर भाव... -VI. ii. 150 आदि धातुओं से नित्य 'यङ्' प्रत्यय होता है)। देखें-भावकर्मवचनः VI. ii. 150 ...भावयोः - III. ii. 45 भाव.. -VI. iv. 27 देखें-भावकरणयो: VI. iv. 27 देखें - करणभावयोः III. ii. 45. भाव... - VI. iv. 62 भावलक्षणम् - II. iii. 37 देखें - भावकर्मणो: VI. iv. 62 (जिसकी क्रिया से) क्रियान्तर लक्षित होवे, (उसमें भाव... - VII. I. 17 सप्तमी विभक्ति होती है)। खें-भावादिकर्मणोः VII. ii. 17 . भावलक्षणे-III. iv. 16 भाव.. -VIII. iv. 10 क्रिया के लक्षण में वर्तमान (स्था, इण् आदि धातुओं देखें - भावकरणयोः VIII. iv. 10 ..से वेदविषय में तुमर्थ में तोसुन् प्रत्यय होता है)। भावः -V.i. 118 भाववचना - III. iii. 11 (षष्ठीसमर्थ प्रातिपदिक से) 'भाव' अर्थ में (त्व और , तल् प्रत्यय होते है)। (क्रियार्थ क्रिया उपपद हो तो भविष्यत्काल में धातु से) भाववाचक अर्थात् भाव को कहने वाले प्रत्यय (भी होते . भावकरणयोः -VI. iv. 27 भाववाची तथा करणवाची (घन के) परे रहते (भी रन धातु की उपधा के नकार का लोप होता है)। भाववचनात् - II. iii. 15 (तमन के समान अर्थ वाले) भाववचन = भाव को भावकरणयोः - VIII. iv. 10 कहने वाले प्रत्ययान्त से (भी चतुर्थी विभक्ति होती है)। (पूर्वपद में स्थित निमित्त से उत्तर) भाव तथा करण में (वर्तमान पान शब्द के नकार को विकल्प से णकार आदेश भाववचनानाम् - II. iii. 54 , होता है)। धात्वर्थ को कहने वाले घजादि-प्रत्ययान्त-कर्तृक भावकर्मणोः -I. 1. 13 (रुजार्थक धातुओं) के (कर्म में शेष विवक्षित होने पर भाववाच्य एवं कर्मवाच्य में (धातु से आत्मनेपद होता षष्ठी विभक्ति होती है, ज्वर धातु को छोड़कर)। भावादिकर्मणोः - I. ii. 21 भावकर्मणोः - III. 1.66 (उकार उपधा वाली धातु से परे) भाववाच्य तथा आदिभाववाची एवं कर्मवाची (लुङ् का त शब्द) परे रहते कर्म में (वर्तमान सेट् निष्ठा प्रत्यय विकल्प करके कित् (धातुमात्र से उत्तर च्लि को चिण आदेश होता है)। नहीं होता है। भावकर्मणोः -VI. iv. 62 भावादिकर्मणो: - VII. I. 17. भाव तथा कर्म-विषयक (स्य मिच मीयर और तास भाव तथा आदिकर्म में (वर्तमान आकार इत्सक के परे रहते उपदेश में अजन्त धातुओं तथा हन,ग्रह एवं धातुओं को निष्ठा परे रहते विकल्प से इट आगम नहीं दृश् धातुओं का चिण के समान विकल्प से कार्य होता __ होता)। है तथा इट् आगम भी होता है)। भावी-V.1.79 भावकर्मवचनः -VI. II. 150 द्वितीयासमर्थ कालवाची प्रातिपदिकों से 'सत्कारपूर्वक भाव तथा कर्मवाची (अन् प्रत्ययान्त उत्तरपद) को व्यापार','खरीदा हुआ','हो चुका' और) होने वाला'(कारक से उत्तर अन्तोदात्त होता है)। (इन अर्थों में यथाविहित ठञ् प्रत्यय होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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