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________________ पूर्वस्य 369 ..पूर्व पूर्वस्य - VII. ii. 44 ....पूर्वापर... - II. iv. 12 (प्रत्यय में स्थित ककार से) पूर्व (अकार) के स्थान में देखें - वृक्षमृगतृणधान्य II. iv. 12 (इकारादेश होता है, आप परे रहते; यदि वह आप सुप् पूर्वापराधरोत्तरम् - II. ii.1 से उत्तर न हो तो)। पूर्व, अपर, अधर, उत्तर-ये (सुबन्त) शब्द (एकद्रव्यपूर्वस्य -VIII. ii. 42 वाची अवयवी सुबन्त के साथ विकल्प से समास को . रेफ तथा दकार से उत्तर निष्ठा के तकार को नकारादेश प्राप्त होते हैं और वह तत्पुरुष समास होता है)। होता है, तथा निष्ठा के तकार से) पूर्व के (दकार को भी पूर्वापरप्रथमचरमजघन्यसमानमध्यमध्यमवीरा: - नकारादेश होता है)। II.i. 57 पूर्वस्य - VIII. I. 107 पूर्व, अपर, प्रथम, चरम, जघन्य, समान, मध्य, मध्यम, (दूर से बुलाने के विषय से भिन्न विषय में अप्रगृह्य- . वीर-ये (विशेषणवाची सुबन्त) शब्द (भी विशेष्यवाची सज्ञक एच् के) पूर्व के (अर्द्धभाग को प्लुत करने के प्रसङ्ग में आकारादेश होता है तथा उत्तरवाले भाग को इकार समानाधिकरण सुबन्तों के साथ विकल्प से तत्पुरुष समास उकार (आदेश होते हैं)। को प्राप्त होते हैं)। पूर्वस्य - VIII. iii. 2 पूर्वाण... - IV. iii. 24 (यहाँ से आगे जिसको रु विधान करेंगे, उससे) पूर्व के । देखें - पूर्वाणापराहणाभ्याम् IV. iii. 24 वर्ण को (तो विकल्प से अनुनासिक आदेश होता है ऐसा पूर्वाहण.. -IV. iii. 28 अधिकार इस रुत्व-विधान-प्रकरण में समझना चाहिये। देखें-पूर्वाहणापराहणाo Vifi. 28 पूर्वाणापराहणाभ्याम् – IV. iii. 24 पूर्वस्य - VIII. iv.60 (उत् उपसर्ग से उत्तर स्था तथा स्तम्भ को) पूर्वसवर्ण ' (कालवाची) पूर्वाण, अपराह्य शब्दों से (विकल्प से आदेश होता है)। ट्यु तथा ट्युल् प्रत्यय होते हैं तथा उनको तुट् आगम भी होता है)। पूर्वात् - V. ii. 86 'प्रथमासमर्थ पूर्व प्रातिपदिक से (इसके द्वारा' अर्थ में पूर्वाणापराणा मूलप्रदोषावस्करात्- IV. ill. 28 इनि प्रत्यय होता है)। पूर्वाण, अपराग, आर्द्रा, मूल, प्रदोष, अवस्कर (सप्त मीसमर्थ) प्रातिपदिकों से (जात अर्थ में वुन् प्रत्यय होता ....पूर्वात् - V. iv. 98 देखें - उत्तरमृगपूर्वात् V. iv. 98 पूर्वादिभ्यः - VII.1.16 पूर्वे - III. ii. 19 पूर्व है आदि में जिसके,ऐसे पूर्वादिगणपठित (नौ सर्व- (कर्तृवाची) पूर्व शब्द उपपद रहते (स्' धातु से 'ट' नामों) से उत्तर (डसि तथा ङि के स्थान में क्रमशः स्मात् प्रत्यय होता है)। तथा स्मिन् आदेश विकल्प से होते है)। पूर्वे -VI. ii. 22 पूर्वाधरावराणाम् – V. ii. 39 पूर्व शब्द उत्तरपद रहते (भूतपूर्ववाची तत्पुरुष समास (दिशा, देश तथा काल अर्थों में वर्तमान सप्तम्यन्त, में पूर्वपद को प्रकृतिस्वर हो जाता है)। पञ्चम्यन्त तथा प्रथमान्त दिशावाची) पूर्व,अधर तथा अवर ...पवेद्यस...-v.iii. 22 प्रातिपदिकों से (असि प्रत्यय होता है और प्रत्यय के देखें- सद्य:परुत v. iii. 22 साथ-साथ इन शब्दों को यथासंख्य करके पुर, अधू तथा ....पूर्वेषु-III. iv. 24 अव आदेश होते है)। देखें - अप्रथमपूर्वेषु III. iv. 24
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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