SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 381
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पुंवत् 363 ...पुरस पुंवत् -I. 1.66 पुंसि - VII. i. 111 (गोत्रप्रत्ययान्त स्त्रीलिङ्ग शब्द युवप्रत्ययान्न के साथ (इदम् शब्द के इद् रूप को) पुंल्लिङ्ग में (आ आदेश शेष रह जाता है और गोत्रप्रत्ययान्त शब्द को) पुंल्लिङ्ग होता है.स विभक्ति परे रहते)। के समान कार्य (भी) होता है,(यदि उन दोनों में वृद्धयुव । पुजि - VII. vi. 80 -प्रत्यय -निमित्तक ही वैरूप्य हो और सब समान हो)। (अवर्णपरक) पवर्ग,यण तथा जकार पर वाले (उवर्णान्त पुंवत् - VI. iil. 33 अभ्यास को इकारादेश होता है.सन परे रहते)। (एक ही अर्थ में अर्थात् एक ही प्रवृत्तिनिमित्त को लेकर भाषित= कहा है पुल्लिङ्ग अर्थ को जिसने,ऐसे ऊवर्जित पुर... - V. iii. 39 भाषितपुंस्क स्त्री शब्द के स्थान में) पुल्लिङ्गवाची शब्द के देखें -पुरषक: V. iii. 39 समान रूप हो जाता है; (पुरणी तथा प्रियादिवर्जित ...पुर... -V.iv..74 स्त्रीलिङ्ग समानाधिकरण उत्तरपद रहते)। देखें-ऋक्पूरब्यू: V. iv.74 पुंवत् -VI. 1.41 ...पुर... - IV. ii. 121 (कर्मधारय समास में तथा जातीय एवं देशीय प्रत्ययों देख-प्रस्थपुरov.ii. 121 के परे रहते ऊवर्जित भाषितपुंस्क स्त्री शब्द को) पुंव पुरः -I. iv.67 • भाव हो जाता है। (अव्यय) जो पुरस् शब्द,उसकी (क्रिया के योग में गति पुंक्द् - VII.1.74 ... और निपात संज्ञा होती है)। (तृतीया विभक्ति से लेकर आगे की विभक्तियों के परे लकर आग का विभक्तियों के पर पुरगा... -VIII. iv. 4 रहते भाषितपुंस्क नपुंसकलिङ्ग वाले इगन्त अङ्ग को देखें-पुरगामिश्रका VIII. iv.4 गालव आचार्य के मत में) पुंवद्भाव हो जाता है। पुरगामिश्रकासिधकाशारिकाकोटराग्रेभ्यः - VIII. iv. पुंस-VII. 1. 89 पुंस् अङ्ग के स्थान में (सर्वनामस्थान परे रहते असुङ् पुरगा, मिश्रका, सिध्रका, शारिका, कोटरा, अग्रे - इन आदेश होता है)। शब्दों से उत्तर (वन शब्द के नकार को णकारादेश होता ...पुंसाभ्याम् - IV.I.87 है, सञ्जाविषय में)। देखें - सीपुंसाभ्याम् IV. 1. 87 पुरघकः -v.ii. 39 पुंसि - II. iv. 29 (दिशा, देश. तथा काल अर्थों में वर्तमान सप्तम्यन्त, (रात्र, अह, अह - ये कृतसमासान्त शब्द) पुंल्लिङ्ग पञ्चम्यन्त तथा प्रथमान्त दिशावाची पूर्व,अधर तथा अवर में होते हैं। प्रातिपदिकों से असि प्रत्यय होता है और प्रत्यय के साथपुंसि-II. iv. 31 साथ इन शब्दों को यथासंख्य करके) पुर, अध् तथा अव् (अर्धर्च आदि शब्द) पुंल्लिङ्ग (और नपुंसकलिङ्ग में आदेश होते है। होते हैं। ....पुरन्दरौ-VI. iii. 68 पुंसि-III. Ili. 118 देखें-वाचंयमपुरन्दरौ VI. iii.68 (धातु से करण और अधिकरण कारक में) पुंल्लिङ्ग में (प्रायः करके घ प्रत्यय होता है, यदि समदाय से संज्ञा ...पुरश्चरण... -IV. iii. 72 पुर प्रतीत होती है)। देखें-द्वयब्राह्मण IV. iii. 72 पुंसि-VI.1.99 पुरस्... -III. 1. 18 (प्रथमयोः पूर्वसवर्णः सूत्र से किये हुये पूर्वसवर्ण दीर्घ देखें -पुरोऽप्रतो० III. II. 18 से उत्तर शस के अवयव सकार को नकार आदेश होता ...पुरस: - IV. 1. 98 है); पुंल्लिङ्ग में। देखें-दक्षिणापश्चात् IV. 1. 98 '
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy