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________________ पुगन्त... 362 पुंयोगात् पुगन्त.. - VII. ill.86 देखें - पुगन्तलघूपधस्य VII. iii. 86 पुगन्तलघूपधस्य-VII. 11.86 पुक परे रहने पर तत्समीपस्थ अङ्ग के इक् को तथा लघुसज्जक इक उपधा को (भी सार्वधातुक तथा आर्धधातुक प्रत्यय परे रहते गुण हो जाता है)। पुच्छ... -III. 1. 20 देखें-पुच्छभाण्डचीवरात् III. 1. 20 ...पुच्छ... -V.i. 19 देखें- अगोपुच्छ V.i. 19 पुच्छभाण्डचीवरात्-III. I. 20 . पुच्छ,भाण्ड,चीवर-इन (कमों) से (णि प्रत्यय होता है, क्रियाविशेष को कहने में)। ...पुञ्जि.. - VIII. iii. 97 देखें- अम्बाम्ब० VIII. iii. 97 पुण्यम् -VI. 1. 152 (सप्तम्यन्त से परे उत्तरपद) पुण्य शब्द को (अन्तोदात्त होता है)। ....पुण्यात् - V.iv.87 देखें - सवैकदेश V.iv.87 ....पुण्येषु-III. ii. 89 -सुकमे III. 1.89 ...पुत्र... -VIII. 1.53 देखें-पतिपुत्र VIII. Iii. 53 पुत्र -VI. ii. 132 (तत्पुरुष समास में पुंल्लिङ्गवाची शब्द से उत्तर) पुत्र शब्द उत्तरपद को (आधुदात्त होता है)। पुत्रपत्योः - VI. 1. 13 (ष्यङ् को सम्प्रसारण होता है),यदि पत्र तथा पति शब्द उत्तरपद हों तो (तत्पुरुष समास में)। ...पुत्रपौत्रम् -V.ii. 10 देखें - परोवरपरम्पर० V. ii. 10 पुत्रस्य -VIII. iv.47 (आक्रोश गम्यमान हो दो आदिनी शब्द परे रहते) पुत्र शब्द को द्वित्व नहीं होता)। पुत्रात् - V. 1. 39 (षष्ठीसमर्थ) पत्र प्रातिपदिक से (कारण' अर्थ में छ तथा यत् प्रत्यय होते हैं,यदि वह कारण संयोग वा उत्पात हो तो)। पुत्रान्तात् -IV.I. 159 (गोत्र से भिन्न वृद्धसंज्ञक) पुत्रान्त प्रातिपदिक से फिञ् प्रत्यय (पूर्वसूत्रविहित) परे रहते पर विकल्प से कुक् आगम होता है।। पुत्रे - VI. iii. 21 पुत्र शब्द उत्तरपद रहते (आक्रोश गम्यमान होने पर विकल्प करके षष्ठी का अलुक् होता है)। ...पुत्रौ-I. 1.68 देखें- प्रातृपुत्रौ I. ii. 68 ....पुनर्वसु... - IV. iii. 34 देखें-अविष्ठाफल्गुन्यनुo IV. iii.34 पुनर्वस्वोः - I. ii. 61 वेदविषय में पुनर्वसु (नक्षत्र) के (द्वित्व अर्थ में विकल्प से एकत्व होता है)। ....पुनर्वस्वोः - 1. ii. 63 देखें-तिष्यपुनर्वस्वो: I. 1.63 ...पुम्... -VI.i. 165 देखें-ऊडिदम् VI.i. 165 पुम् - VII. iv. 19 (पलू अङ्ग को अङ् परे रहते) पुम् आगम होता है। पुमः -VIII. 1.6 . (अम् प्रत्याहार परे है जिससे, ऐसे खय् के परे रहते) . पुम् को (रु आदेश होता है,संहिता में)। पुमान् -I. 1.67 पुंल्लिङ्ग शब्द (स्त्रीलिङ्ग शब्द के साथ शेष रह जाता है, यदि उन शब्दों में स्त्रीत्व पुंस्त्वकृत ही विशेष हो, अन्य प्रकृति आदि सब समान ही हो)। पुम्थ्यः -VI. 1. 132 (तत्पुरुष समास में) पुंल्लिङ्गवाची शब्दों से उत्तर (पुत्र शब्द उत्तरपद को आधुदात्त होता है)। पुंयोगात् - IV. 1.48 पुरुष के साथ सम्बन्ध होने के कारण (जो प्रातिपदिक स्त्रीलिङ्ग में वर्तमान हो तथा पुल्लिङ्ग को पहले कह चुका हो, ऐसे अदन्त अनुपसर्जन) प्रातिपदिक से (ङीष् प्रत्यय होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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