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________________ पत 346 पतः-VII. v. 19 ....पत्योः - VI.i. 13 पत्लु अङ्ग को (अङ् परे रहते पुम् आगम होता है)। देखें - पुत्रपत्योः VI. 1. 13. ..पति... -III. 1. 158 ...पत्योः - VI. iii. 23 देखें - स्पृहिगृहिO III. ii. 158 देखें- स्वस्पत्योः VI. il. 23 ...पति...-III. iv. 56 पत्यौ-VI. ii. 18 देखें - विशिपतिपदि. III. iv. 56 (ऐश्वर्यवाची तत्पुरुष समास में) पति शब्द उत्तरपद रहते (पूर्वपद को प्रकृतिस्वर हो जाता है)। पति...- VII. iii. 53 फा.-IV.ii. 122 देखें - पतिपुत्र० VIII. lil. 53 . देखें - पत्राध्वर्युपरिषदः IV. 1. 122 पति -I.iv.8 ....फा..-.1.7 पति शब्द (समास में ही घिसज्ज्ञक होता है)। देखें-पथ्याङ्ग V. 1.7 ..पतित...-II.1.23 पत्र = रथ, कोई वाहन, घोड़ा, ऊँट। देखें - श्रितातीतपतित० II.1.23 फापूर्वात् - IV.in. 121 . ...पतित...-II.1.37 पत्रपूर्वात्-पत्रपूर्ववाले (षष्ठीसमर्थ रथ) शब्द से देखें - अपेतापोडमुक्तः II. 1. 37 (इदम्' अर्थ में अञ् प्रत्यय होता है)। पतिपुत्रपृष्ठपारपदपयस्पोषेषु - VIII. I. 53 . पत्राध्वर्युपरिषदः - IV. iii. 122 पति, पुत्र, पृष्ठ,पार, पद, पयस्, पोष- इन शब्दों के षष्ठीसमर्थ) पत्र. अध्वर्य परिषद प्रातिपदिकों से (भी परे रहते (वेद-विषय में षष्ठी विभक्ति के विसर्जनीय को सकारादेश होता है)। 'इदम्' अर्थ में अञ् प्रत्यय होता है)। पत्रे - III. 1. 121 ...पतिवतो: - IV. 1. 32 देखें- अन्तर्वत्पतिवतो: IV. 1. 32 पत्र अर्थात् वाहन को कहना हो तो (युग्यम् शब्द में युज् . धातु से क्यप् प्रत्यय और कुत्व निपातन से होता है)। पत्यन्त...-V.I. 127 देखें- पत्यन्तपुरोहिO V. 1. 127 पक्ष- IV. 1. 29 पत्यन्तपुरोहितादिभ्यः - V.I. 127 (सप्तमीसमर्थ पथिन् प्रातिपदिक से 'जात' अर्थ में वुन् प्रत्यय होता है तथा प्रत्यय के साथ-साथ पथिन को (पन्थ (षष्ठीसमर्थ) पति शब्द अन्त वाले तथा पुरोहितादि आदेश भी होता है)। प्रातिपदिकों से (भाव और कर्म अर्थों में यक प्रत्यय होता पथः -v.1.74 पत्युः -V.i.33 (द्वितीयासमर्थ) पथिन् प्रातिपदिक से (जाता है' अर्थ पति शब्द से (स्त्रीलिङ्ग में यज्ञसंयोग गम्यमान होने में ष्कन् प्रत्यय होता है)। पर डीप प्रत्यय होता है और नकार अन्तादेश भी हो पथ: -V. ii. 63 जाता है)। (सप्तमीसमर्थ) पथिन् प्रातिपदिक से (कुशल' अर्थ में ...पत्युत्तरपदात् - IV.1.85 वुन् प्रत्यय होता है)। देखें-दित्यदित्यादित्य V.I.85 पथः - V. iv. 72 ...पत्योः -III. 1. 52 (नञ् से परे जो) पथिन् शब्द,(तदन्त तत्पुरुष से समादेखें-जायापत्योः I. 1. 52 सान्त प्रत्यय विकल्प से नहीं होते)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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