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________________ ..पथाम् -V.lv. 74 देखें क्यू पछि... - IV. 1. 85 देखें पतियो TV III. 85 ...पछि... - IV. Iv. 92 - देखें - धर्मपथ्यर्थ० IV. Iv. 92 VI. 74 पछि... - IV. Iv. 104 देखें - पण्यतिथिवसतिo IV. Iv. 104 पथि... - V. 1. 7 देखें - पथ्यगo Vii. 7 पथि... - VI. III. 103 देखें - पध्यक्षयोः VI. III. 103 पथि - VI. iii. 107 पथिन् शब्द उत्तरपद रहते (भी वेदविषय में कु को 'कव' तथा 'का' आदेश विकल्प करके होते हैं)। afa...-VII. i. 85 देखें - पथिमध्यo VII. 1. 85 पतियो - IV. iii 85 (द्वितीयासमर्थ प्रातिपदिक से जाने वाला) मार्ग तथा (जाने वाला) दूत कर्ता अभिधेय होने पर (यथाविहित प्रत्यय होता है)। पश्चिम - VI. 1. 193 पथिन् तथा मथिन् शब्द को (सर्वनामस्थान परे रहते आदि उदात्त होता है)। पथिमथ्य भुक्षाम् - VII. 1. 85 पथिन्, मचिन् तथा ऋभुक्षिन् इन अग़ को (स परे रहते आकारादेश होता है)। 347 पथ्यक्षयोः - VI. iii. 103 पथिन् तथा अक्ष शब्द उत्तरपद हो तो (कु शब्द को का आदेश होता है)। पथ्यङ्गकर्मपत्रपात्रम् - V. I. 7 (सर्व शब्द आदि में है जिनके, ऐसे द्वितीयासमर्थ) पथिन, अङ्ग, कर्म, पत्र तथा पात्र प्रातिपदिकों से (व्याप्त होता है' अर्थ में ख प्रत्यय होता है)। पथ्यतिथिवसतिस्वपतेः - IV. iv. 104 (सप्तमीसमर्थ) पथिन्, अतिथि, वसति, स्वपति प्रातिपदिकों से (साधु अर्थ में ठञ् प्रत्यय होता है)। वसति निवास । पद - III. 1. 119 देखें - पदास्वैरिo III. 1. 119 = ... पद... - III. ii. 154 देखें - लक्ष्पतo III. ii. 154 पद... - III. iii. 16 देखें - पदरुज III. iii. 16 पद् - VI. 1. 61 (वेदविषय में पाद शब्द के स्थान में) पद आदेश हो जाता है, (शस् प्रकार वाले प्रत्ययों के परे रहते ) । पद - VI. 1. 51 (पाद शब्द को) पद आदेश होता है, (आजि, आति, ग तथा उपहत उत्तरपद परे रहते ) । -VI. iii. 52 (अतदर्थ यत् प्रत्यय के परे रहते पाद शब्द को) पद् आदेश होता है। .. पद... - VII. Iv. 84 देखें वसु VII. I. 84 - ... पद... - VIII. iii. 53 देखें पतिपुत्र VIII. II. 53 पदः पदम् - .. पद... - VIII. iv. 17 देखें - गदनद० VIII. iv. 17 - -III. 1. 60 गत्यर्थक पद् धातु से उत्तर (च्लि को चिण् आदेश होता है, कर्तृवाची लुङ् 'त' शब्द परे रहते)। . पदः - III. ii. 150 देखें - जुचकम्य०] III. I. 150 पदम् - 1. Iv. 14 (सुबन्त एवं तिङन्त शब्दरूपों की) पदसंज्ञा होती है। पदम् - IV. iv. 87 (दृश्यसमानाधिकरण प्रथमासमर्थ) पद प्रातिपदिक से (सप्तम्यर्थ में यत् प्रत्यय होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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