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________________ त .. 295 तस्मात् तव... -VII. 1.96 देखें-तवममौ VII. 1. 96 तवक... -IV. iii.3 देखें - तवकममको IV. iii.3 तवकममको-IV. 1.3 (एक अर्थ को कहने वाले युष्मद, अस्मद शब्दों के स्थान में यथासङ्ख्य) तवक,ममक आदेश होते हैं.(उस खञ् तथा अण् प्रत्यय के परे रहते)। तवममौ - VII. . 96 (युष्मद, अस्मद् अङ्ग के मपर्यन्त भाग को क्रमश:) तव तथा मम आदेश होते हैं, (ङस् विभक्ति परे रहते)। ....तवेङ्... - III. iv.9 देखें - सेसेनसे० III. iv.9 ...तवेन - III. iv.9 देखें - सेसेनसे. II. iv.9 तवै... - III. iv. 14 ' देखें - तवैकेन्केन्यत्वनः III. iv. 14 तवै-VI. 1.51 तवै प्रत्यय को (अन्त उदात्त भी होता है तथा अव्यवहित - पूर्वपद गति को भी प्रकृतिस्वर एक साथ होता है)। तवैकेनकेन्यत्वनः -III. iv. 14. (कृत्यार्थ में भाव कर्म में वेदविषय में धातु से) तवै, केन्, केन्य, त्वन्- ये चार प्रत्यय होते हैं। ...तव्य.. - II. I. 11 देखें - पूरणगुणसुहितार्थ II. ii. 11 ...तव्य... - III. 1. देखें- तव्यत्तव्यानीयर: III. 1. 96 तव्यत्.. - III. 1. 96 देखें- तव्यत्तव्यानीयरः III.1.96 तव्यत्तव्यानीयरः - III. 1. 96 (धातु से) तव्यत्, तव्य और अनीयर् प्रत्यय होते हैं। त.. -III.Iv. 101 . देखें-तस्थस्थमिपाम् III. iv. 101 ...तस्... - III. iv. 78 देखें-तिप्तरिझ० III. iv. 78 तसि: - IV. iii. 113 (तृतीयासमर्थ प्रातिपदिक से एकदिक विषय में) तसिल प्रत्यय (भी) होता है। तसि-V. iv. 44 (प्रति शब्द के योग में विहित पञ्चमी विभक्ति अन्त वाले प्रातिपदिक से विकल्प से) तसि प्रत्यय होता है। तसिल्-v.ili.7 . (पञ्चम्यन्त किम.सर्वनाम तथा बहु शब्दों से) तसिल प्रत्यय होता है। तसिलादिषु -VI. iii. 34 तसिलादि प्रत्ययों से लेकर कृत्वसुच-पर्यन्त कहे गये जो प्रत्यय), उनके परे रहते (ऊवर्जित भाषितपुंस्क स्त्रीशब्द को पुंवत् हो जाता है)। तसे: -v. iii.8 (किम्, सर्वनाम तथा बहु से उत्तर) तसि के स्थान में (भी तसिल आदेश होता है। ... तसोः - II. iv. 33 देखें-नसोः II. iv. 33 तसौ-I. iv. 19 तकारान्त तथा सकारान्त शब्द (भसंज्ञक होते हैं, मतुबर्थक प्रत्ययों के परे रहते)। ....तसौ-II. iv. 33 देखें- तसौ In. iv. 33 तस्थस्थमिपाम् - III. iv. 101 (ङित्-लकार-सम्बन्धी) तस्,थस,थ और मिप् के स्थान में (यथासंख्य ताम्, तम्, त और अम् आदेश होते हैं)। तस्प्रत्यये -III. iv. 61 . तस्प्रत्ययान्त (स्वाङ्गवाची) शब्द उपपद हो तो (क.भ धातुओं से क्त्वा, णमुल् प्रत्यय होते है)। तस्मात् -1.1.66 पञ्चमी विभक्ति से (निर्दिष्ट जो शब्द, उससे उत्तर को कार्य होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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