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________________ किमिदम्भ्याम् 159 किमिदम्भ्याम् -V. 1.40 किरतौ -VI.1. 135 (प्रथमासमर्थ परिमाण समानाधिकरणवाची) किम तथा (काटने के विषय में) क विक्षेपे धात के परे रहते (उप इदम् प्रातिपदिकों से (षष्ठ्यर्थ में वतुप प्रत्यय होता है, उपसर्ग से उत्तर ककार से पूर्व सुट का आगम होता है, और वतुप के वकार को धकार आदेश हो जाता है)। संहिता के विषय में)। किमेतिडव्ययघात् - V. iv. 11 किशरादिभ्यः -IV. iv.53 किम्, एकारान्त, तिङन्त तथा अव्ययों से जो घ अर्थात् तरप् तथा तमप् प्रत्यय, तदन्त से (आमु प्रत्यय होता है, (प्रथमासमर्थ) किशरादि प्रातिपदिकों से (इसका द्रव्य का प्रकर्व न कहना हो तो)। बेचना' अर्थ में ष्ठन प्रत्यय होता है)। ...किमो-VI. II.89 किशर = सुगन्धिविशेष। देखें-इदहिकमो: VI. 1.89 की-VI.1.21 किंयत्तदः -V.ii.92 (चायू धातु को यङ् प्रत्यय के परे रहते) की आदेश किम्, यत् तथा तत् प्रातिपदिकों से (दो में से एक का होता है। पृथक्करण' अर्थ में डतरच प्रत्यय होता है)। की-VI.1.34 किंवृत्तम् -VIII.1.48 (चाय धातु को वेदविषय में बहुल करके) की' आदेश (जिससे उत्तर चित् है तथा जिससे पूर्व कोई शब्द नहीं हो जाता है। है, ऐसे) किंवृत्त शब्द से युक्त (तिङन्त को भी अनुदात्त ...की - VI. iii. 89 नहीं होता)। देखें -ईश्की VI. I. 89 दिक्ते -III. iii. 6 ...कीर्तयः -III. iii. 97 (लिप्सा अर्थात् लेने की इच्छा गम्यमान होने पर) देखें - उतियूति III. ii. 97 किंवृत्त = क्या, कौन,किसे आदि से सम्बद्ध प्रश्न उपपद ..कु... - I. iii. 8 होने पर (भविष्यत्काल में धातु से विकल्प से लट् प्रत्यय देखें-लशकु० I. 1.8 होता है)। कु...-II. 1. 18 विक्ते - III. iii. 144 देखें-कुगतिप्रादयः II. 1. 18 किंवृत्त उपपद हो तो (गर्दा गम्यमान होने पर धातु से कु... - V. iv. 105 लिङ् तथा लुट् प्रत्यय होते है)। देखें - कुमहद्भ्याम् V. iv. 105 ..किंशुलकादीनाम् - VI. ill. 116 कु... -VI.i.116 देखें-कोटरकिंशुलकादीनाम् VI. III. 116 देखें-कुधपरे VI. I. 116 किंसर्वनामबहुभ्यः - V. ii.2 ...कु... -VI. iii. 132 (यहाँ से आगे 'दिक्शब्देश्यः सप्तमीपञ्चमी.'v.i. देखें-तुनुघ० VI. iii. 132 27 तक जितने प्रत्यय कहे हैं, वे सब) किम.सर्वनाम तथा । कु-VII. 1. 104 बहु शब्दों से ही होते हैं,(द्वि आदि शब्दों को छोड़कर)! (तकारादि तथा हकारादि विभक्तियों के परे रहते किम को) कु आदेश होता है। ....किरः -III.i. 35 कु... -VII.iv.62 देखें-इगुपधज्ञा III. 1.35 - देखें-कहो: VII. iv.62 किरः-VII. 1.75 ' कृ इत्यादि (पाँच) धातुओं से उत्तर (भी सन को इट कु... -VIII. lil. 37 आगम होता है)। ___.देखें- कुप्वोः VIII. HI. 37
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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