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________________ कित् 158 किमः कित् - III. iv. 104 किम् - II.i. 63 (आशीर्वाद में विहित परस्मैपद-संज्ञक लिङ् को यासुट् किम शब्द (निन्दा गम्यमान होने पर समानाधिकरण आगम होता है), तथा वह कित् (और उदात्त) होता है। समर्थ सुबन्त के साथ विकल्प से समास को प्राप्त होता कित: - VI. i. 159 है, और वह समास तत्पुरुषसंज्ञक होता है)। (तद्धितसञ्जक) कित् प्रत्यय को (अन्तोदात्त होता है)। ...किम्... - III. ii. 21 ...कितवादिभ्यः -II. iv. 68 देखें-दिवाविभा० III. ii. 21 . देखें-तिककितवादिभ्यः II. iv. 68 किम्... -v.ii. 40 किति -II. iv. 36 देखें-किमिदम्भ्याम् V.ii. 40 (अद को जग्घ आदेश होता है. ल्यप तथा तकाराटि) किम्... -V. iii. 2 देखें - किंसर्वनामo v. iii.2 कित् (आर्धधातुक) परे रहते। ...किम्.. - V.ii. 15 किति – VI. i. 15 देखें- सर्वैकान्य v. iii. 15 (वच, जिष्वप् तथा यजादि धातुओं को) कित् प्रत्यय किम्... - V. iii. 92 के परे रहते (सम्प्रसारण हो जाता है)। देखें-किंयत्तदः V. iii. 92 किति – VI. i. 38 किम्.. -v.iv. 11 (इस वय के यकार को) कित (लिट) प्रत्यय के परे रहते देखें-किमेत्तिङ ov.iv. 11 (विकल्प करके वकारादेश भी हो जाता है)। . किम् - VIII. I. 44 किति-VII. ii. 11 (क्रिया के प्रश्न में वर्तमान) किम् शब्द से युक्त (उपसर्ग : (श्रि तथा उगन्त धातुओं को) कित प्रत्यय परे रहते (इट से रहित तथा प्रतिषेधरहित तिङन्त को अनुदात्त नहीं होआगम नहीं होता। ता)। किति -VII. ii. 118 किमः - V. ii. 41 (तद्धित) कित परे रहते (भी अङ्ग के अचों में आदि अच (सङ्ख्या के परिमाण अर्थ में वर्तमान प्रथमासमर्थ) को वृद्धि होती है)। किम् प्रातिपदिक से (षष्ठ्यर्थ में डति तथा वतुप प्रत्यय होते हैं,और उस वतुप् प्रत्यय के वकार के स्थान में घकार किति -VII. iv. 40 आदेश होता है)। (दो, षो, मा तथा स्था अङ्गों को तकारादि) कित् प्रत्यय किम: - V. iii. 12 . के परे रहते (इकारादेश होता है)। (सप्तम्यन्त) किम् प्रातिपदिक से (अत् प्रत्यय होता है)। किति -VII. iv. 69 किम: -V.ili. 25 (इण् अङ्ग के अभ्यास को) कित् (लिट्) परे रहते (दीर्घ (प्रकारवचन में वर्तमान) किम् प्रातिपदिक से (भी थमु होता है)। प्रत्यय होता है)। ....कितौ-I.i. 45 किम: - V. iv.70 देखें-टकितौ I.1.45 (निन्दा' अर्थ में वर्तमान) किम् प्रातिपदिक से (समा...किद्ध्यः -III. 1.5 सान्त प्रत्यय नहीं होते)। देखें - गुप्तिकिझ्यः III. I.S किम: - VII. ii. 103 ...किनौ-III. 1. 171 किम अङ्गको विभक्ति परे रहते 'क' आदेश होता देखें-किकिनौ III. I. 171
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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