SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 173
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कारकात् 155 कारकात् - V. iv. 42 (बहुत तथा थोड़ा अर्थ वाले) कारकाभिधायी प्रातिपदिकों से (विकल्प से शस् प्रत्यय होता है) । - कारकमध्ये II. iii. 7 दो कारकों के बीच में (जो काल और अध्व-वाचक शब्द, उनसे सप्तमी और पञ्चमी विभक्ति होती है)। कारकात् - VI. ii. 148 (सञ्ज्ञा विषय में आशीर्वाद गम्यमान हो तो) कारक से उत्तर (कान्त दत्त तथा श्रुत शब्दों का ही अन्त वर्ण उदात्त होता है)। कारके - I. iv. 23 कारके यह अधिकार सूत्र है। कारके - III. 1. 19 (कर्तृभिन्न कारक में भी धातु से संज्ञाविषय में घब् प्रत्यय होता है)। कारनाम्नि - VI. III. 9 (प्राच्यदेशों के) जो करों के नाम वाले शब्द, उनमें (भी हलादि शब्द के परे रहते हलन्त तथा अदन्त शब्दों से उत्तर सप्तमी विभक्ति का अलुक् होता है)। कारिणि - V. ii. 72 (द्वितीयासमर्थ शीत तथा उष्ण प्रातिपदिकों से) 'करने वाला' अभिधेय हो तो (कन् प्रत्यय होता है)। .....कारिभ्यः - IV. 1. 152 देखें- सेनान्तलक्षणo IV. 1. 152 कारे - VI. iii. 69 . कार शब्द उत्तरपद रहते (सत्य तथा अगद शब्द को मुम् आगम हो जाता है)। कार्त्तकौजपादय: - VI. ii. 37 कार्त्तकौजपादि जो द्वन्द्वसमास वाले शब्द, उनके पूर्वपद को (भी प्रकृति स्वर हो जाता है) । ... कार्तिकी.... - IV. 1. 23 देखें- फाल्गुनीश्रवणा० IV. 1. 23 कायें - V. iv. 52 (कु. भू तथा अस् धातु के योग में सम् पूर्वक पद धातु के कर्त्ता में वर्तमान प्रातिपदिक से) 'सम्पूर्णता' गम्यमान हो तो (विकल्प से साति प्रत्यय होता है) । - कार्मः VI. iv. 172 'कार्म' इस शब्द में ताच्छील्यार्थक ण परे रहते टिलोप का निपातन किया जाता है। ....कार्यार्याभ्याम् - IV. 1. 155 - देखें ... कार्य... - V. 1. 92 देखें - परिजय्यलभ्यo V. 1. 92 कार्यम् - I. iv. 2 (विप्रतिषेध = तुल्य बल विरोध होने पर परसूत्र - कथित) कार्य होता है। कार्यम् - V. 1. 95 (सप्तमीसमर्थ कालवाची प्रातिपदिकों से दिया जाता है' और 'कार्य' = काम (अर्थों में भव अर्थ के समान ही प्रत्यय हो जाते हैं)। कार्षापण... - V. 1. 29 देखें - कार्षापणसहस्राभ्याम् V. 1. 29 कार्षापणसहस्राभ्याम् - V. 1. 29 (अध्यर्द्ध शब्द पूर्व में है जिसके, ऐसे तथा द्विगुसञ्ज्ञक) कार्षापण एवं सहस्त्र शब्दान्त प्रातिपदिक से (तदर्हति पर्यन्त कथित अर्थों में उत्पन्न प्रत्यय का विकल्प से लुक् होता है। ... का... - VIII. iv. 5 देखें प्रनिरन्तः ० VIII. iv. 5 - कौसल्यकार्यार्याभ्याम् IV. 1. 155 काल... - I. ii. 57 देखें - कालोपसर्जन III. 57 काल.... देखें - -II. iii. 5 कालाध्वनोः 11. iii. 5 काल... III. iii. 167 देखें कालसमयवेलासु III. l. 167 - - ... काल... देखें - जानपदकुण्डo IV. 1. 42 • IV. 1. 42 - ..काल... काल... - V. ii. 81 देखें - कालप्रयोजनात् V. ii. 81 — ... काल... - VI. 1. 29 देखें इगन्तकाल० VI. II. 29 ... काल... - VI. ii. 170 देखें - जातिकाल० VI. II. 170
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy