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________________ कंसीयपरशव्ययोः 154 कारकम् कंसीयपरशव्ययोः - IV. iii. 165 कान् -VIII. III. 12 (षष्ठीसमर्थ कंसीय तथा परशव्य प्रातिपदिकों से विकार कान शब्द के (नकार को रु होता है, आमेडित परे अर्थ में यथासङ्ख्य करके य थासङ्ख्य करक पबू आर अप्रत्यय हात ह, रहते)। और अञ् प्रत्यय होते है, तथा प्रत्यय के साथ साथ) कंसीय और परशव्य का (लुक् भी होता है)। कान -III. II. 106 काकुदस्य-V. iv. 148 वेद-विषय में भूतकाल में विहित लिट के स्थान में । (उत तथा वि से उत्तरा काकद शब्द को (समासान्त लोप विकल्प से) कानच आदेश होता है। होता है,बहुव्रीहि समास में)। कापिश्या: -V.1.98 काठके - VII. iv. 38 कापिशी शब्द से (शैषिक ष्फक् प्रत्यय होता है)। देव तथा सम्न अङ्गको क्यच परे रहते आकारादेश काम... -V. 1. 98 होता है, यजुर्वेद की) काठक शाखां में।। देखें- कामबले V. ii. 98 ...काणाम् -VI. I. 144 कामप्रवेदने -III. iii. 153 देखें- थाथप VI. ii. 144 अपने अभिप्राय का प्रकाशन करना गम्यमान हो (और . ' ...काण्ठेविद्धिभ्यः -IV.i.81 कच्चित् शब्द उपपद में न हो तो धातु से लिङ् प्रत्यय देखें- दैवयज्ञिशौचिवृक्षि० V.1.81 होता है)। काण्ड.. -V. 1. 111 कामवले -v.ii. 98 देखें- काण्डाण्डात् V. 1. 111 (वत्स और अंस प्रातिपदिकों से मत्वर्थ में यथासङ्ख्य ...काण्डम् -VI. ii. 122 करके) कामवान् = प्रेमयुक्त और बलवान अर्थ गम्यमान देखें- कंसमन्थ. VI. 1. 122 हो तो (लच् प्रत्यय होता है)। ...काण्डम् -VI. ii. 126 ...कामुक... -IV.i. 42 देखें- चेलखेटO VI. 1. 126 देखें - जानपदकुण्ड IV.I. 42. काण्डाण्डात्-v.ii. 111 कामे - V. 1.65 काण्ड तथा अण्ड प्रातिपदिकों से (यथासङ्ख्य करके । (सप्तमीसमर्थ धन और हिरण्य प्रातिपदिकों से) 'इच्छा' ईरन और ईरच प्रत्यय होते है, 'मत्वर्थ' में)। अर्थ में (कन् प्रत्यय होता है)। काण्डादीनि - VI. 1. 135 काम्यच् - III.1.9 (अप्राणिवाची षष्ठ्यन्त शब्द से उत्तर पूर्वोक्त छ:) काण्डादि उत्तरपद को (भी आधुदात्त होता है)। (आत्मसम्बन्धी सुबन्त कर्म से इच्छा अर्थ में विकल्प से) काम्यच्' प्रत्यय (भी) होता है। काण्डान्तात् - IV.i. 23 काण्ड शब्दान्त (अनुपसर्जन द्विग-संज्ञक) प्रातिपदिक से ...कार... -III. ii. 21 (तद्धित का लुक ही जाने पर स्त्रीलिंग में ङीप् प्रत्यय नहीं देखें - दिवाविभा० III. ii. 21 होता, क्षेत्र वाच्य होने पर)। ...कारक... -VI. ii. 139 देखें - गतिकारको० VI. ii. 139 कात् -VI.i. 131 ...कारक... -VI. iii.98 ककार से (पूर्व सुट् का आगम होता है), यह अधिकार देखें- आशीराशास्था0 VI. iii. 98 कात् -VII. iii. 44 कारकम् - VIII.i. 51 (प्रत्यय में स्थित) ककार से (पूर्व अकार के स्थान में (गत्यर्थक धातुओं के लोट् लकार से युक्त लुडन्त इकारादेश होता है,आप परे रहते; यदि वह आप सुप से तिङन्त को अनुदात्त नहीं होता, यदि) कारक (सारा अन्य उत्तर न हो तो)। न हो तो)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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