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________________ उतियूतिजूतिसातिहेतिकीर्तयः 127 ऊर्वष्ठीव ऊतियूतिजूतिसातिहेतिकीर्तयः - III. iii. 97 ऊर्णायाः -v.ii. 123 क्तिन्प्रत्ययान्त ऊति, यति, जूति, साति, हेति और कीर्ति ___ ऊर्णा प्रातिपदिक से (मत्वर्थ' में युस् प्रत्यय होता है)। (शब्द निपातन से सिद्ध होते है)। ...ऊर्णावत् - V. iii. 118 देखें- अभिजिद्ov.iii. 118 ...ऊतौ -I.i. 18 ...ऊर्गु... - VII. ii. 49 देखें -ईदूतौ I. i. 18 देखें - इवन्तर्ध० VII. ii. 49 ...अदितः -VII. ii.44 ऊों : -I.ii.3 देखें-स्वरतिसूति० VII. ii. 44 _ 'ऊर्गुञ् आच्छादने' धातु से परे (इडादि प्रत्यय विकल्प ...ऊयस्... - VIII. ii. 70 से डित्वत् होते हैं)। देखें- अम्नरूधर VIII. 1.70 ऊणति: - VII. ii. 6 ऊधस: -IV.i. 25 ऊर्णब अङ्ग को (परस्मैपदपरक इडादि सिच् परे रहते (बहुव्रीहि समास में वर्तमान ऊधस् शब्दान्त प्रातिपदिक विकल्प से वृद्धि नहीं होती)। से (स्त्रीलिंग में ङीप् प्रत्यय होता है)। ऊोत: - VII. ii. 90 ऊधस -V. iv. 131. (हलादि पित् सार्वधातुक परे रहते) 'अर्गुञ् आच्छादने' ऊधस शब्दान्त (बहुव्रीहि) को (समासान्त अन आदेश धातु को विकल्प से वृद्धि होती है)। होता है)। ऊर्ध्वम् -v.ifi.83 ऊनयति... -III.1.51 देखें-ऊनयतिध्वनयति III. 1.51 (इस प्रकरण में कथित ठ तथा अजादि प्रत्ययों के परे रहते द्वितीय अच् से) बाद के शब्दरूप का (लोप हो जाता ऊनयतिध्वनयत्येलयत्यर्दयतिथ्यः - III.i. 51 । ऊन, ध्वन, इल, अर्द-इन ण्यन्त धातुओं से उत्तर (वेद ऊर्ध्वमौहर्तिके -III. iii.9 विषय में च्लि के स्थान में चङ आदेश नहीं होता)। दो घड़ी से ऊपर के (भविष्यत्काल) को कहना हो तो ...ऊनार्थ... -II.i.30 (लोडर्थलक्षण में वर्तमान धातु से लिङ्प्रत्यय विकल्प से देखें- पूर्वसदृशसमो० II.i. 30 होता है तथा लट् भी)। ऊनार्थ... -VI. ii. 153 देखें- ऊनार्थकलहम् VI. ii. 153 ऊर्ध्वमौहूर्त्तिके - III. iii. 164 (प्रैष, अतिसर्ग तथा प्राप्तकाल अर्थ गम्यमान हों तो) ऊनार्थकलहम् - VI. ii. 153 मुहूर्त से ऊपर के काल को कहने में (धातु से लिङ्प्रत्यय (तृतीयान्तं शब्द से परे उत्तरपद) ऊन=स्वल्प अर्थ के होता है, तथा चकार से यथाप्राप्त कृत्यसंज्ञक एवं लोट् वाचक एवं कलह शब्द को (अन्तोदात्त होता है)। प्रत्यय होते है)। . ऊरूत्तरपदात् - IV.i. 69 ऊर्ध्वात् - V. iv. 130 ऊरु शब्द उत्तरपद वाले प्रातिपदिकों से (औपम्य गम्य- ऊर्ध्व शब्द से उत्तर (जो जानु शब्द,उसको विकल्प से मान होने पर स्त्रीलिंग में ऊङ् प्रत्यय होता है)। समासान्त जु आदेश होता है,बहुव्रीहि समास में)। ....ऊर्जस्वल... -v.ii. 114 ऊचे -III. iv. 44 देखें-ज्योत्स्नातमित्राov.ii. 114 (कर्तृवाची) ऊर्ध्व शब्द उपपद हो तो (शषि शोषणे' ...ऊर्जस्विन्.. - V. ii. 114 तथा पूरी आप्यायने' धातुओं से णमुल प्रत्यय होता है)। देखें-ज्योत्स्नातमित्रा० V.ii. 114 ऊर्यादि... -I. iv.60 ...ऊर्जि... -III. ii. 177 देखें - ऊर्यादिच्चिडाच: I. iv. 60 देखें-प्राजभास III. ii. 177 ऊर्यादिच्चिडाच: -I. iv.60 ...ऊर्णयो: - IV. iii. 155 ऊर्यादिशब्द, च्यन्त और डाजन्त शब्द (भी गति तथा देखें-ऊमोर्णयोः IV. iii. 155 निपातसंज्ञक होते है, क्रियायोग में)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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