SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उष्टात् 126 . उष्ट्रात् - IV. iii. 154 (षष्ठीसमर्थ) उष्ट्र प्रातिपदिक से (विकार और अवयव अर्थों में वुञ् प्रत्यय होता है)। ...उष्णाभ्याम् -V.ii. 72 देखें-शीतोष्णाभ्याम् V. 1.72 ...उष्णिक्... - III. ii. 59 देखें-ऋत्विम्दधक III. ii. 59 ...उष्णिके -v.ii.71 देखें-ब्राह्मणकोष्णिके V.ii.71 उष्णे-VI. iii. 106 उष्ण शब्द उत्तरपद रहते (कु शब्द को कव आदेश भी होता है,एवं विकल्प से का आदेश भी होता है)। ...उस्... - III. iv. 82 देखें- णलतुसुस III. iv. 82 . .... ...उस्... - VII. iii. 51 देखें- इसुसुक्तान्तात् VII. iii. 51 . . उसि - VI.i. 93 (अपदान्त अवर्ण से उत्तर) उस् परे रहते (पूर्व पर के स्थान में पररूप एकादेश होता है)। ...उसो: - VIII. iii. 44 . देखें-इसुसो: VIII. iii. 44 ऊ... -I.ii. 26 ...ऊठ -VI. iv. 19 देखें - व्युपधात् I. ii. 26 देखें-शूठ VI. iv. 19 ऊ... -I.ii. 27 ऊ - VI. iv. 132 देखें-अकाल: I. ii. 27 (वाह अन्तवाले भसज्ञक अङ्ग को सम्प्रसारणसञ्जक) ऊ...-I. iv.3 ऊळ होता है। देखें-यूI. iv.3 अक: -III. I. 165 ...ऊठ्सु - VI. 1. 86 (जागृ धातु से वर्तमान काल में) ऊक प्रत्यय होता है. देखें- एत्येपत्यसु VI.1.86 (तच्छीलादि कर्ता हो तो)। अडिदम्पदाधप्पुप्रैधुभ्य: - VI. 1. 168 अकाल -I.ii. 27 ऊठ, इदम्,पदादि, अप,पुम,रै तथा दिव् शब्दों से उत्तर उकाल,ऊकाल तथा उ३काल अर्थात् एकमात्रिक द्विमा- (सर्वनामस्थानभिन्न विभक्ति उदात्त होती है)। त्रिक तथा त्रिमात्रिक (अच् की यथासंख्य करके हस्व,दीर्घ का यथासख्य करक हस्व,दाष ...ऊत् ...-I.. 11 और प्लुत संज्ञा होती है)। देखें - ईदूदेत् I..11 अ -IV.i.66 ऊत् -VI. iii.97 (उकारान्त मनुष्यजातिवाची प्रातिपदिकों से स्त्रीलिंग में) (अनु से उत्तर अप् शब्द कों) ऊकारादेश होता है, देश ऊङ् प्रत्यय होता है। को कहने में)। ऊ -VI. 1. 169 ऊत् - VI. iv. 89 देखें- अधात्वो: VI. I. 169 (गोह अङ्ग की उपधा को) ऊकारादेश होता है, (अजादि उड्यात्वोः -VI.i. 169 प्रत्यय परे रहते)। ऊङ् तथा धातु का (जो उदात्त के स्थान में हुआ यण, हल पूर्ववाला हो तो उससे उत्तर अजादि सर्वनामस्थान ऊति... -III. ili.97 भिन्न विभक्ति को उदात्त नहीं होता)। देखें- ऊतियूति III. iii. 97 ऊद.. -VI. 1. 165 ...ऊति... -VI. iii.98 देखें-ऊडिदम VI.1.165 देखें- आशीराशास्था. VI. 1.98
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy