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________________ ...उमा... 125 उष्ट ...उमा... - V.ii.4 देखें-तिलमाषो० V.ii.4 उमोर्णयोः - IV. iii. 155 (षष्ठीसमर्थ) उमा तथा ऊर्णा प्रातिपदिक से (विकल्प से विकार तथा अवयव अर्थ में वुञ् प्रत्यय होता है)। उर: -VI.i. 113 यजुर्वेद-विषय में एडन्त (उर:शब्द को प्रकृतिभाव होता है, अकार परे रहते)। उर:प्रभृतिभ्य: - V. iv. 151 उरस इत्यादि अन्तवाले शब्दों से (बहुव्रीहि समास में कप् प्रत्यय होता है)। . उरच -v.ii. 106 (उन्नत समानाधिकरण वाले दन्त प्रातिपदिकों से मत्वर्थ में) उरच प्रत्यय होता है। ...उरभ्र... -IV.ii.38 देखें-गोत्रोक्षोष्ट्रो० IV.ii. 38 उरस: - IV. iii. 114 . (ततीयासमर्थ) उरस् शब्द से (एकदिक अर्थ में यत् प्रत्यय तथा चकार से तसि प्रत्यय भी होता है)। उरस: - IV. iv.94 (तृतीयासमर्थ) उरस् प्रातिपदिक से (बनाया हुआ' अर्थ में अण् और यत् प्रत्यय होते हैं)। उरस: - V. iv. 82 (प्रति शब्द से उत्तर) उरस शब्दान्त प्रातिपदिक से (समासान्त अच् प्रत्यय होता है, यदि वह उरस् शब्द सप्तमी विभक्ति के अर्थवाला हो तो)। उरस:-V.iv.93 - (प्रधान को कहने में वर्तमान) उरस् शब्दान्त (तत्पुरुष) से (समासान्त टच् प्रत्यय होता है)। उरसि...-I. iv.74 देखें-उरसिमनसी I. iv.74 उरसिमनसी-I. iv.75 उरसि और मनसि शब्द (कृञ् के योग में विकल्प से निपात और गति संज्ञक होते है, अनत्याधान अर्थ में)। ...उरु.. - VI. iv. 157 देखें-प्रियस्थिर० VI. iv. 157 ....उरु.. - VIII. iv. 26 देखें-धातुस्थोरुभ्यः VIII. iv.26 ...उरुष्याणाम् -VI. iii. 132 देखें-तुनुप० VI. iii. 132 ...उल्लाघा: - VIII. ii. 55 देखें - फुल्लक्षीब VIII. ii. 55 ...उवड - VI. iv.77 देखें - इयड्जवडी VI. iv.77 ...उवइस्थानौ-I. iv.4 देखें -इयडुवस्थानौ -I. iv. 4 ...उशनस् - VII. 1. 94 देखें-ऋदशनस० VII. 1. 94 उशीनरेषु - II. iv. 20 (कन्थाशब्दान्त तत्पुरुष संज्ञा विषय में नपुंसकलिंग में होता है), यदि वह कन्था उशीनर जनपदसम्बन्धी हो तो। उशीनरेषु - IV. ii. 117 उशीनर देश में (जो वाहीक ग्राम वृद्धसंज्ञक है, उनसे विकल्प से ठज तथा जिठ शैषिक प्रत्यय होते हैं)। उप..-III. I. 38 देखें - उपविदजागृभ्यः III. 1. 38 उपविदजागृभ्यः -III. 1.36 उष, विद तथा जागृ धातुओं से विकल्प से अमन्त्र विषय में लिङ् परे रहते आम् प्रत्यय होता है)। ...उषसः - IV.ii. 30 देखें-वाय्यतुपित्रुषस: IV. ii. 30 उपस - VI. iii. 30 (देवताद्वन्द्व में उत्तरपद परे रहते) उषस् शब्द को (उषासा आदेश होता है)। ...उपसी-VI. ii. 117 देखें- अलोमोषसी VI. ii. 117 उषासा-VI. iii. 30 (देवताद्वन्दू में उत्तरपद परे रहते उषस शब्द को) उषासा आदेश होता है। ...उष्ट... - IV. 1. 38 देखें-गोत्रोक्षोष्ट्रो० IV. ii. 38 उष्ट्र: - VI. ii. 40 (सादि तथा वामि शब्द उत्तरपद रहते पूर्वपद) उष्ट्र शब्द को (प्रकृतिस्वर होता है)।
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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