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________________ ईति ईति - VI. Iv. 148 (भसञ्ज्ञक इवर्णान्त तथा अवर्णान्त अङ्ग का लोप होता है), ईकार (तथा तद्धित) के परे रहते । ... ईतो. - IV. ii. 123 देखें- रोपधेतोः IV. ii. 123 ईदूदेद् - I. 1. 11 द्विवचन ईकारान्त, उकारान्त तथा एकारान्त शब्द (प्रगृह्यसंज्ञक होते है ) । .... ईन .... देखें - आयनेयी० VI. 1. 2 ... ईदितः - VII. ii. 14 देखें - श्वीदित: VII. ii. 14 ईदूतौ – I. 1. 18 ईकारान्त और ऊकारान्त शब्दरूप (सप्तमी के अर्थ में ईरन्... - V. ii. 111 प्रयुक्त होने पर प्रगृह्यसंज्ञक होते है) । - VII. i. 2 ई... - IV. iv. 28 - IV. iv. 28 देखें - ईफ्लोमकूलम् IV. iv. 28 'ईपलोमकूलम् - (द्वितीयासमर्थ प्रति तथा अनु पूर्ववाले) ईप, लोम और कूल प्रातिपदिक से (वर्तते' अर्थ में ठक् प्रत्यय होता है) । ईप्सितः - I. iv. 26 (रोकने अर्थवाली धातुओं के प्रयोग में) ईप्सित = इष्ट पदार्थ की (अपादान संज्ञा होती है) । - ईप्सितः - - I. iv. 36 (स्पृह धातु के प्रयोग में) ईप्सित = इष्ट पदार्थ (सम्प्रदानसञ्जक होता है)। ... ई .... देखें - आयनेयी० VII. 1. 2 4... - VII. 1. 2 109 ईयङ् - III. 1. 29 (घृणार्थक सौत्र ऋत् धातु से) ईयङ् प्रत्यय होता है। ईयस - Viv. 156 (बहुव्रीहि समास में) ईयसुन् अन्त वाले शब्दों से (भी कप् प्रत्यय नहीं होता) । ईस्ट - VI. Iv. 160 (ज्य अङ्ग से उत्तर) ईयस् को (आकार आदेश होता है) । ... ईयसुनौ - V. III. 57 देखें - तरबीयसुनौ Viii. 57 ... ईयस्सु. - V. iv. 154 देखें - इष्ठेमेयस्सु V. iv. 154 ... ईरचौ -V. ii. 111 देखें - ईरनीरचौV. ii. 111 देखें - ईरन्नीरचौ Vii. 111 ईरनीरचौ - V. ii. 111 (काण्ड तथा आण्ड प्रातिपदिकों से यथासङ्ख्य करके) ईरन् तथा ईरच् प्रत्यय होते हैं, (मत्वर्थ में) । ... ईर्मा - V. iv. 126 देखें - दक्षिणेर्मा Viv. 126 ईर्मन् = व्रण । ईप्सिततमम् – I. iv. 49 (कर्ता का अपनी क्रिया के द्वारा) जो अत्यन्त चाहा गया, ईशा – II. iii. 52 'वह (कारक कर्म-संज्ञक होता है) । ... ईर्ष्या... - I. iv. 37 देखें - क्रुधदुहेर्ष्यासूयार्थानाम् I. iv. 37 ईवत्याः - VI. 1. 215 ईवती शब्दान्त पद को (सञ्ज्ञाविषय में अन्तोदात्त होता है। ईश्... - VI. iii. 89 देखें - ईश्की VI. iii. 89 ... ईश... - III. 1. 175 देखें - स्वेशभासo III. ii. 175 ईश: - VII. ii. 77 'ईश् ऐश्वर्ये' धातु से उत्तर (से'- इस सार्वधातुक को इट् आगम होता है)। ईश्वर देखें - अधीगर्थदयेशाम् II. iii. 52 ईश्की – VI. lii. 89 - (इदम् तथा किम् शब्दों को यथासङ्ख्य करके) ईश् तथा की आदेश हो जाते है; (दृक्, दृश् तथा वतुप् परे रहते) । ... ईश्वर... - II. iii. 39 देखें - स्वामीश्वराधिपति० II. iii. 39 ... ईश्वर... - VII. iii. 30 देखें - शुचीश्वर VII. iii. 30
SR No.016112
Book TitleAshtadhyayi Padanukram Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAvanindar Kumar
PublisherParimal Publication
Publication Year1996
Total Pages600
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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