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________________ १९४३. बीसी - विहरमान वीसी, देवचन्द्रोपाध्याय / दीपचन्द्र उ०, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, 'आदि-श्री सीमंधर जिनवर स्वामि..., अन्त–वंदो वंदो रे जिनवर विचरंता...', मु., अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मण्डल, पादरा १९४४, बीसी - विहरमान वीसी, राजलाभगणि / राजहर्षगणि, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ. १९४५. बीसी - विहरमान वीसी, रामचन्द्रगणि / कीर्त्तिकुशल उ० जिनसागरीय, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १८वीं, अ., ह. आचार्यशाखा ज्ञान भं., बीकानेर १९४६. बीसी - विहरमान वीसी, लालचन्द्रगणि / हीरानन्दन उ०, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १६९२ पालडी, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९४७. बीसी - विहरमान वीसी, विनयचन्द्रगणि / ज्ञानतिलकगणि जिनसागरसूरिशाखा, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १७५४ राजनगर, 'आदि-श्री सीमंधर सुन्दर साहिबा..., अन्त-संप्रति वीस जिनेश्वर वंदउ...', मु., विनयचन्द्र कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३० १९४८. बीसी - विहरमान वीसी, सबलसिंह श्रावक, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १८६१ मकसूदाबाद, अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-३, पृ. ३३५ १९४९. बीसी - विहरमान वीसी, समयसुन्दरोपाध्याय / सकलचन्द्रगणि, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १६९७ अहमदाबाद, 'आदि-सीमन्धर सांभलउ..., अन्त-वीस विहरमान गाया...', मु., ___समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. ३० ।। १९५०. बीसी - विहरमान वीसी, हर्षकुशल / मेघविजयगणि, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९५१. बुढ्ढा रास , फकीरचन्द, रास चौपई, राजस्थानी, १८३६, 'आदि-दयाज माता वीनउं..., अन्तसंवत अठार छततीस आणी...', अ., ह. महिमाभक्ति - बड़ा ज्ञान भं., बीकानेर १९५२. बृहत्कल्पसूत्र अर्थ, सहजकीर्त्तिगणि / हेमनन्दन उ०, आगम, राजस्थानी, १७वीं, अ., उल्लेख स्वकृत निशीथसूत्र अर्थ १९५३. बृहत्कल्पादि छेदग्रन्थ लघु भाष्यादि टिप्पण, साधुरङ्ग उ० / सुमतिसागर उ०, १७वीं, . अ., उ. देवचन्द्रोपाध्याय कृत विचारसार टीका १९५४. बृहनमस्कार फल स्तोत्र, जिनचन्द्रसूरि / जिनेश्वरसूरि, स्तोत्र, प्राकृत, १२वीं, 'आदि वंदित्तुवद्धमाणं जिणेसरं..., अन्त-इय संविग्ग सिरोमणि...', अ. १९५५. बृहत्पर्युषणानिर्णय, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागरजी म०, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा १९५६. बृहत्पर्युषणानिर्णय-भूमिका पीठिका, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागरजी म०, चर्चा, हिन्दी, २०वीं, मु., सुमति कार्यालय, कोटा 148 खरतरगच्छ साहित्य कोश Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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