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________________ १९५७. बृहत्पर्युषणानिर्णय-भूमिका पीठिका, जिनमणिसागरसूरि / सुमतिसागरजी म०, चर्चा, ___संस्कृत अपूर्ण, २०वीं, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १९५८. बृहद्वन्दनकभाष्य , अभयदेवसूरि / जिनेश्वरसूरि, विधि, प्राकृत, १२वीं, 'आदि इच्छायबणुन्नवणा..., अन्त–एवं विणओववेओ...', मु. १९५९. बृहत्संग्रहणी बालावबोध, गुणविनयोपाध्याय / जयसोम उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, _____ अ., ह. अनन्तनाथ ज्ञान भं., बम्बई १९६०. बृहत्संग्रहणी बालावबोध, शिवनिधानोपाध्याय / हर्षसार वा., प्रकरण, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-श्रीपार्श्वनाथं फलं..., अन्त-संसारीक सर्वसुख पामै...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १२२४३ १९६१. बृहत्संग्रहणी स्तबक, धर्ममेरुगणि / चरणधर्म उ०, प्रकरण, राजस्थानी, १६वीं-१७वीं, 'आदि-नमस्कार करीने..., अन्त–तीरथ सुधा प्रवर्तओ...', अ., ह. कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा १०७१७, १३२४२ १९६२. बृहह्रींकारकल्प विवरण, जिनप्रभसूरि / जिनसिंहसूरि, मन्त्रशास्त्र, संस्कृत, १४वीं, मु., डाय्याभाई मोहोकमलाल, अहमदाबाद, ह. हरिसागरसूरि ज्ञान भं., पालीताणा १५४२ ।। १९६३. बेगड़गच्छ पट्टावली, ऐतिहासिक पट्टावली, राजस्थानी, १७७२ तक, अ., ह. विनय. प्रतिलिपि १९६४. बौद्धाधिकार विवरण, जिनप्रबोधसूरि / जिनेश्वरसूरि द्वि., न्यायदर्शन, संस्कृत, १४वीं, अ, उ. यु. खरतरगच्छ बृहद् गुर्वावली, पृ. ५७ १९६५. ब्रह्मचर्यपरिकरण, कपूरमल्लमणिधारी जिनचन्द्रसूरि राज्ये, प्रकरण, प्राकृत, १२वीं, आदि पउम रयणाइ रइया..., अन्त–संपइ गणाहिपवरो...', मु., मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, नाहटा .: ब्रदर्स, बीकानेर १९६६. ब्रह्मचर्यपरिकरण हिन्दी अनुवाद, जिनकवीन्द्रसागरसूरि / जिनहरिसागरसूरि, प्रकरण, हिन्दी, २१वीं, मु., मणिधारी जिनचन्द्रसूरि, नाहटा ब्रदर्स, बीकानेर १९६७.. ब्रह्मसेन चौपई , दयामेरु उ० / कुशलकल्याणगणि, रास चौपई, राजस्थानी, १८८० भावनगर ___ (हैदराबाद), अ., ह. जयचन्द संग्रह, बीकानेर १९६८. भक्तामर स्तोत्र टीका, गुणाकरसूरि / गुणचन्द्रसूरि रुद्रपल्लीय, स्तोत्र, संस्कृत, १४२६ सरस्वती पत्तन, आदि-पूजाज्ञानवचोऽपाया..., अन्त-गिरां गुंफधात्री कवीन्देषु वाणी...', मु., जिनदत्तसूरि ज्ञान भं., सूरत १९६९. भक्तामर स्तोत्र टीका, विनयसागर उ० / सुमतिकलश उ० पिप्पलक, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, अं. १९७०. भक्तामर स्तोत्र टीका, शिवचन्द्रोपाध्याय / जिनसिंहसूरि पिप्पलक, स्तोत्र, संस्कृत, १७वीं, __अ., ह. खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर 149 खरतरगच्छ साहित्य कोश For Personal & Private Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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