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________________ १९३०. बावनी - वैराग्य बावनी, लालचन्द्रगणि / हीरानन्दनगणि, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १६९५, अन्त–खरतरगच्छपति सिंघ सूरीसर...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, कैलाशसागरसूरि ज्ञान मन्दिर, कोबा ७६६१ १९३१. बावनी - शाश्वत जिन बावनी, हर्षप्रिय उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, विनय. प्रतिलिपि १९३२. बावनी - सवैया बावनी, चिदानन्द (कपूरचन्द) / चुन्नीजी, बावनी साहित्य, हिन्दी, २०वीं, 'आदि-ओंकर अगम अपार प्रवचनसार..., अन्त-चिदानंद केवे अ6 सणवेको सार एहि...', मु., चिदानंदजी कृत सर्व संग्रह भाग-२, पृ. ३ से १९३३. बावनी - सवैया बावनी, जयचन्द / सकलहर्ष, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७३३ जोधपुर, अ., ह. कांतिसागरजी संग्रह १९३४. बावनी - सवैया बावनी, लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय / लक्ष्मीकीर्त्ति उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७३८, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, खजांची संग्रह रा.प्रा.वि.प्र., बीकानेर १९३५. बावनी - सवैया बावनी, विनयलाभोपाध्याय (बालचन्द) / विनयप्रमोदगणि, बावनी साहित्य, राजस्थामी, अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर १९३६. बावनी - सार बावनी, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १६८९ पाली, 'आदि-ओंकार अपार पार तसु कोई न लब्भीय..., अन्त–शितिमंडन क्षितितिलक सहर पालीपुर...', अ., ह. अनूप संस्कृत लाइब्रेरी बीकानेर, उ. जैन गुर्जर कविओ भाग-१, पृ. ५३७ १९३७. बावनी - सीमन्धर बावनी, श्रीसारोपाध्याय / रत्नहर्ष उ०, बावनी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, अ., ह. नाहर संग्रह, कलकत्ता १९३८. बीसी - विहरमान वीसी, जिनराजसूरि / जिनसिंहसूरि, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, 'आदि-मुझ. हियड़उ हेजालुयउ..., अन्त–खरतर जुगवर श्री जिनसिंह सूरीदनेरे...', मु., जिनराजसूरि कृति कुसुमाञ्जलि, पृ. १८ १९३९. बीसी - विहरमान वीसी, जिनसागरसूरि / जिनसिंहसूरि, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १७वीं, _ 'अन्त–सुविहित खरतर गच्छपतीए...', अ., ह. अभय ग्र., बीकानेर, सेठिया लाइब्रेरी, बीकानेर · १९४०. बीसी - विहरमान वीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्ष, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १७२७, .. 'आदि-सामि सीमंधर सांभलउजी..., अन्त-विहरमान वीसे नित वंदियै रे...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ५८ १९४१. बीसी - विहरमान वीसी, जिनहर्षगणि / शान्तिहर्षगणि, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १७४५, आदि पुण्डरीकणी नगरी वखाणीय..., अन्त–सारद तुझ सुपसाउलइ...', मु., जिनहर्ष ग्रन्थावली, पृ. ३४ .. १९४२. बीसी - विहरमान वीसी, ज्ञानसारोपाध्याय / रत्नराज उ०, वीसी साहित्य, राजस्थानी, १८७८ बीकानेर, आदि-किम मिलियै किम परचिय..., अन्त–इम वीसू जिनवर जिनराया...', मु., ज्ञानसार ग्रन्थावली, पृ. १३ खरतरगच्छ साहित्य कोश 147 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016106
Book TitleKhartargaccha Sahitya Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2006
Total Pages692
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size14 MB
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