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________________ ६ ३ निरक्त कोश ३३१. उवदेस (उपदेश) उवदिस्सइ त्ति उवदेसो। (निचू १ पृ ३५) जो उपदिष्ट होता है, वह उपदेश है। ३३२. उवधि (उपधि) उपदधाति सरीरमितिउवधी। (दअचू पृ १४८) जिसे शरीर पर धारण किया जाता है, वह उपधि है । उपधीयते-पोष्यते जीवोऽनेनेत्युपधिः। (स्थाटी प ११४) जिसके द्वारा जीव पुष्ट होता है, वह उपधि है । ३३३. उवभोग (उपभोग) उपभुज्यते-पौनः पुन्येन सेव्यत इत्युपभोगः। (उपाटी प १६) जिसका बार बार उपभोग/आसेवन किया जाता है, वह उपभोग है। ३३४. उवमा (उपमा) उवेच्च माणं उवमा । _(दअचू पृ २०) जिस माप को स्वीकार किया जाता है, वह उपमा है। उवमिजंति अणेण अत्था तेण ओवम्म। (दजिचू पृ २०) जिसके द्वारा पदार्थ उपमित किया जाता है, वह उपमा उपमीयते--सदृशतया वस्तु गृह्यते अनयेत्युपमा । (अनुद्वामटी प ४०१) जो वस्तु के सादृश्य का निरूपण करती है, वह उपमा है। ३३५. उवलेव (उपलेप) उपलिप्यते अनेनेत्युपलेपः। (औटी प ६६) जिसके द्वारा उपलिप्त किया जाता है, वह उपलेप है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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