SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 352
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ निरुक्त कोश ३२१ जा सुन्दर समा/समय है, वह सुषमा/कालचक्र का एक भाग १६६७. सुसाण (श्मशान) सवसयणं सुसाणं ।' (आचू पृ ३१२) शवानां शयनं श्मशानम् । (आटी प २७०) जहां शव सुलाए जाते हैं, वह श्मशान है । १६६८. सुसीला (सुशीला) __ सुष्ठु शीलं-स्वभावो यस्याः सा सुशोला। (उशाटी प ४६०) जिसका शील/स्वभाव सुन्दर है, वह सुशीला है। १६६६. सुस्सर (सुस्वर) सुखेन-अनायासेन स्वर्यते- उच्चार्यत इति सुस्वरः । (बृटी पृ ७३१) जिसके उच्चारण में आयास नहीं करना पड़ता, वह सुस्वर १७००. सुहमोय (सुखमोच) सुखेन मोच्यन्त इति सुखमोचाः । (बृटी पृ ७०८) जिनका सुखपूर्वक मोचन त्याग किया जाता है, वे सुखमाच/ सुत्याज्य हैं। १७०१. सुहसाय (सुखशात) सुखं-वैषयिकं शातयति-तद्गमनस्पृहानिवारणेनापनयतीति सुखशातः। (उशाटी प ५८६) जो वैषयिक सुखों का शातन अपनयन विनाश करता है, वह सुखशात निस्पृह है। १. श्मशब्देन शवः प्रोक्तः शानं शयनमुच्यते । निर्वचन्ति श्मशानार्थं मुने ! शब्दार्थकोविदाः॥ (शब्द ५ पृ १४५) श्मान:-शवाः शेरतेऽत्र इति श्मशानम् । (आप्टे पृ १५७१) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy