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________________ २२४ निरक्त कोशः ११८८. मंदा (मन्दा) मंदमस्यां बाल्यं यौवनं विज्ञानं श्रोत्रादिविज्ञानं वा तेण मंदा । __ (दश्रुचू प ४६६) श्रोत्र आदि विज्ञान जिसमें मंद होता है, वह मंदा अवस्था मन्दः-विशिष्टबलबुद्धिकार्योपदर्शनासमर्थो भोगानुभूतावेव च समर्थो यस्यामवस्थायां सा मन्दा । (स्थाटी प ४६६) जो विशिष्ट कार्य करने में असमर्थ और भोग भोगने में समर्थ है, वह मन्दा अवस्था है । ११८६. मक्कार (माकार) 'मा' इत्यस्य निषेधार्थस्य करणं--अभिधानं माकारः । (स्थाटी प ३८२) मा/निषेध का उच्चारण करना माकार है। ११९०. मग्ग (मार्ग) मृज्यते----शोध्यते अनेनात्मेति मार्गः।' (आवहाटी १ पृ ५८) जो आत्मा का मार्जन/शोधन करता है, वह मार्ग/मोक्षमार्ग ११६१ मग्गणा (मार्गणा) मृग्यतेऽनेन परिणामकरणेनेति मार्गणम् । (नंटी पृ ५०) जिस परिणामविशेष से पदार्थ के अन्वय-व्यतिरेक धर्मों का मार्गण/पर्यालोचन होता है, वह मार्गणा/ईहा/मतिज्ञान का एक भेद है। १. मार्ग के अन्य निरुक्तमार्यते संस्क्रियते पादेन मृग्यते गमनायान्विष्यते इति वा मार्गः । (शब्द २ पृ ७०८) जो पैरों से क्षुण्ण होता है, वह मार्ग है। जिसे गमन के लिए खोजा जाता है, वह मार्ग है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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