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________________ निरक्त कोश २१६ १. जो अर्थ के भार का वहन करती है, वह भारती/वाणी ११६३. भाव (भाव) भवन्ति भविष्यन्ति भूतवन्तश्चेति भावाः ।। जो हैं, होंगे और थे, वे भाव/पदार्थ हैं। भवन्त्येतेषु स्वगता उत्पादविगमध्रौव्याख्यापरिणामविशेषा इति भावाः। . (दटी प ७०) जो उत्पाद, व्यय और ध्रौव्ययुक्त हैं, वे भाव हैं। ...! ११६४. भावणा (भावना) भावयतीति भावना। (आचू पृ ३७७) जो भावित/संस्कारित करती है, वह भावना है । . : भावयंति तां भाव्यते वाऽनयेति भावना। (सूचू १ पृ३८) जिसकी भावना की जाती है, वह भाववा है । ११६५. भावन्नु (भावज्ञ) भावः चित्ताभिप्रायः दातुः श्रोतुर्वा तं जानातीति भावज्ञः। (आटी प १३२) जो भाव अभिप्राय को जानता है, वह भावज्ञ है। ११६६. भावियप्प (भावितात्मन्) भावितो-वासित आत्मा ज्ञानदर्शनचारित्रैस्तपोविशेषैश्च येन स भावितात्मा । (प्रज्ञाटी प ३०३) जिसकी आत्मा ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप से भावित/ संस्कारित है, वह भावितात्मा है । ११६७. भावुक (भाव्य) ___ भाव्यन्ते प्रतियोगिना स्वगुणैरात्मभावमापद्यन्त इति भाव्यानि । (आवहाटी २ पृ २१) १. भाव्यते-वास्यते व्रतं यकाभिस्ता भावनाः । (प्रटी प ११०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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