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________________ २१६ निरक्त कोशः ११४४. भज्जा (भार्या) भरणीया भार्या । (सूचू १ पृ८४) जो भरणयोग्य है, वह भार्या है। बिति भयते वासौ भार्या । (उचू पृ १५०) जो (परिवार का) पोषण करती है, वह भार्या है। जो सेवा/परिचर्या करती है, वह भार्या है । ११४५. भणग (भणक) कालियपुव्वसुत्तत्थं भणतीति भणको। (नंचू पृ८) जो कालिकश्रुत और पूर्वश्रुत के सूत्र व अर्थ की वाचना देते हैं, वे भणक/वाचनाचा हैं। ११४६. भत्तु (भर्तृ) बिभौति भर्ता। (दश्रुचू प ७५) जो (पत्नी का) भरण पोषण करता है, वह भर्ता है। ११४७. भद्द (भद्र) भाति भास्यतेऽनेनेति भद्रः। (उचू पृ ४१) जो सुशोभित होता है, वह भद्र/सुशील है। ११४८. भद्द (भद्र) भायते भाति वा भद्रम् । (नंचू पृ २) जो दीप्त होता है, वह भद्र कल्याण है। ११४६. भद्दा (भद्रा) भदन्ते-कल्याणीकरोति देहिनमिति भद्रा। (प्रटी प १०३) जो प्राणियों का कल्याण करती है, वह भद्रा/अहिंसा है । ११५१. भद्दा (भद्रा) भयते भाति वा भद्रा। _(उचू पृ २०७) जो सेवा करती है, वह भद्रा (स्त्री) है। जिससे घर सुशोभित होता है, वह भद्रा (स्त्री) है । १. भ्रियते भार्या । (अचि पृ ११७) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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