SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 237
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २०६ निरुक्त कोश जो माता-पिता को पवित्र करता है, वह पुत्र है। जो पितृमर्यादा/कुलमर्यादा का पालन/रक्षण करता है, वह पुत्र है। १०६१. पुप्फ (पुष्प) पुष्पन्ति-विकसन्तीति पुष्पाणि । (बृटी पृ ६३) जो पुष्पित विकसित होते हैं, वे पुष्प हैं । १०६२. पुर (पुर) पूर्यत इति पुरम् । (उचू पृ २२२) जो जनाकीर्ण है, वह पुर है । १०६३. पुरंदर (पुरन्दर) असुरादीणं पुराणि दारइत्ति पुरंदरो। (दश्रुचू पृ ६४) जो असुर आदि के पुरों/नगरों का विदारण करता है, वह पुरंदर/इन्द्र है। १०९४. पुरक्कार (पुरस्कार) पुरस्करोति-प्राधान्येनाङ्गोकुरुत इति पुरस्कारः। (उशाटी प ५१६) जो पुर/प्रधानरूप से ग्रहण किया जाता है, वह पुरस्कार १०६५. पुरिस (पुरुष) पुन्नो सुहदुक्खाणं पुरिसो। जो सुख-दुःख से पूर्ण है, वह पुरुष है। १. पुरि शरीरे शेते पुरुषः । (अचि पृ ३०६) २. 'पुरुष' के अन्य निरुक्त-- पृणाति पुमर्यानिति पुरुषः। (अचि पृ ७६) जो पुमर्थ/पुरुषार्थ चतुष्टयी को पुष्ट करता है, वह पुरुष है। पुरि उच्चे ठाणे सेति पव्वत्तीति पुरिसो (विटी १ पृ १६) जो महान् स्थानों में प्रवर्तित होता है, वह पुरुष है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy