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________________ निरुक्त कोश धुतं णाम येन कर्माणि विधूयन्ते । (सूचू १ पृ ५३) जिसके द्वारा कर्मों को धुना जाता है, वह धुत साधना का एक अंग है। ८७२. धुवण (धुवन) धूयतेऽनेनेति धुवणं । (सूचू २ पृ ३५९) जिसके द्वारा गरीबी को धुत/प्रकंपित किया जाता है, वह धुवन कार्य/शिल्प है। ८७३. धुवनिग्गह (ध्रुवनिग्रह) ध्रुवं-कर्म, तद् निगृह्यतेऽनेनेति ध्रुवनिग्रहः । . (विभामहेटी १ पृ ३५४) _जो ध्रुव कर्म का निग्रह करता है, वह ध्वनिग्रह/आवश्यक सूत्र है। ८७४. धूय (धूत) धूयते इति धूतम् । (सूटी २ प ७४) जिसको प्रकंपित किया जाता है, वह धूत कर्म है । ८७५. धृया (दुहित) दोग्धि केवलं जननी स्तन्यार्थमिति दुहिता ।' (उशाटी प ३८) जो दूध के लिए केवल जननी का दोहन करती है, वह दुहिता/पुत्री है। १. 'दुहिता' के अन्य निरुक्तदोग्धि विवाहादिकाले धनादिकमाकृष्य गृह्णातीति दुहिता । ___जो विवाह आदि के अवसर पर माता-पिता आदि से धन आदि का दोहन ग्रहण करती है, वह दुहिता है। यद्वा दोग्धि गा इति दुहिता। (आर्षकाले कन्यासु एव गोदोहनभारस्थितेस्तथात्वम्) । (शब्द २ पृ ७३५) जो गायों का दोहन करती है, वह दुहिता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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