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________________ १६६ निरुक्त कोश ८६२. धम्मविदु (धर्मविद् धम्म विदतीति धम्मविदः । (आचू पृ १४४) जो धर्म को जानता है, वह धर्मवित् है। ८६३. धम्माणुअ (धर्मानुग) धर्म-श्रुतरूपमनुगच्छन्ति ये ते धर्मानुगाः। (औटी पृ १०२) ____जो धर्म का अनुगमन करते हैं, वे धर्मानुग हैं। ८६४. धर (धर) धरतीति धरः। (नंटी पृ १३) जो धारण करता है, वह धर/धारक है। ८६५. धरणा ((धरणा) अवायाणंतरं तमत्थं अविच्चुतीए जहण्णुक्कोसेणं अन्तमुहुत्तं धरेंतस्स धरणा। (नंचू पृ ३७) जो अर्थबोध अपाय के पश्चात् अंतर्मुहूर्त के लिए स्थिर रहता है, वह धरणा/धारणा है। ८६६. धव (धव) धारयति तां स्त्रियं धीयते वा तेन पुंसा वा स्त्री दधाति सर्वात्मना पुष्णाति वा तेन कारणेन धवः। (व्यभा ७ टी प ८६) जो स्त्री का सर्वात्मना धारण/पोषण करता है, वह धव/ पति है। ८६७. धाई (धात्री) धारेइ' धीयए' वा धयंति वा तमिति तेण धाई उ। (पिनि ४११) १. 'धव' का अन्य निरुक्त धुनाति धवः। (अचि पृ ११८) - जो प्रकम्पित/उत्तेजित होता है, वह धव/पति है । २. धारयति बालकमिति धात्री। ध्रियते-पोष्यते इति धात्री। (पिटी प १२२) ३. धीयते-धार्यते बालानां दुग्धपानाद्यर्थमिति धात्री। (प्रसाटी प १४४) ४. धयन्ति-पिबन्ति बालकास्तामिति धात्री। (पिटी प १२२) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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