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________________ २५२ निरक्त कोश जिसका स्वाध्याय विकाल में भी किया जाता है, वह दशवकालिक (सूत्र) है। दस वि अज्झयणा निज्जू हिज्जंता विकाले निज्जूढा थोवावसेसे दिवसे तेण दसवेकालियं त्ति । (दअचू पृ ५) जिसके दस अध्ययनों का नि!हण करते करते विकाल हो गया, वह दशवैकालिक (सूत्र) है। ७८८. दसवेयालिय (दशवैतालिक) दसमं वा वेतालियोपजातिवृत्तेहिं नियमितमज्झयणमिति दसवेतालियं । (दअचू पृ३) जिसका दसवां अध्ययन वैतालिक छंद में बनाया गया है, वह दशवंतालिक/दशवैकालिक (सूत्र) है। '७८६. दस्सु (दस्यु) दंसंतीति दसुगाणि । (आचू पृ ३५६) जो दूसरों का विनाश करते हैं, वे दस्यु हैं। दसणेहि दंतेहिं दंसति तेण दसू। (निचू ४ पृ १२४) जो दांतों से काटता है, वह दस्यु है । ७६०. दहण (दहन) दहतीति दहणो। (आवचू १ पृ २६) जो जलता है, वह दहन/अग्नि है। ७६१. दाण (दान) ___ दोयत इति दानम् । (सूचू १ पृ १४८) जो दिया जाता है, वह दान है। ७६२. दाणीय (दानीय) दीयतेऽस्मै इति दानीयः। (बृटो पृ २५६) जिसे दिया जाता है, वह दानीय/अतिथि है । १. दसति उपक्षणोति दस्युः । (अचि पृ ८६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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