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________________ निरुक्त कोश ६५२. णिग्गंथ (निर्ग्रन्थ ) बज्झ अब्भंतरातो गंथातो णिग्गतो णिग्गंथो । ( सूचू १ पृ २४६ ) बाह्य और आभ्यन्तर ग्रंथि से विनिर्मुक्त है, वह निर्ग्रन्थ है । -६५३. णिग्गह (निग्रह ) निगृह्यन्त इन्द्रिय-कषायादयो भावशत्रवोऽनेनेति निग्रहः । ( विभामहेटी १३५४ ) इन्द्रिय, कषाय आदि भाव शत्रु जिसके द्वारा निगृहीत किए जाते हैं, वह निग्रह / आवश्यक सूत्र है । ६५४. णिग्धाय ( निर्घात) आधिक्येन घातः निर्घातः । अधिक घात निर्घात / हिंसा है । ६५५. णिग्घोस ( निर्घोष ) नितरां घोषो निर्घोषः । निश्चित घोष / उद्घोषणा निर्घोष है । ६५६. णिच्चय ( निश्चय ) निराधिक्यं चयनं चयः अधिकश्चयोनिश्चयः । ६५७. णिच्छय ( निश्चय ) Jain Education International निर्गतः कर्मचयो निश्चयः । १२७ जो सघनता से चय / संकल्प है, वह निश्चय है । निश्चीयन्ते इति निश्चयाः । जो निर्णीत होते हैं, वे निश्चय हैं । ( आवचू २ पृ २५१) ( विपाटी प ८६ ) (अनुवाहाटी पृ १२४ ) For Private & Personal Use Only (राटी पृ २७७) जो कर्म-संचय से रहित है, वह निश्चय / मोक्ष है । (प्रटी प २) www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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