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________________ निरुक्त कोश ६४१. नालंदा ( नालन्दा ) नालं ददातीति नालंदा । ' ( सूटी २ प १५८ ) जो पर्याप्त मात्रा में / भरपूर देता है, वह नालन्दा है । ६४२. णावा (नौ) नयति नीयते वा नौः । ६४३. णास (न्यास) जो पार ले जाती है, वह नौका है । ( मांझी ) जिसे ले जाता है, वह नौका है । न्यस्यते— रक्षणायान्यस्मै समर्प्यत इति न्यासः । धरोहर है । ६४४. णाहियवादि ( नास्तिकवादिन् ) ( पंटी पृ १९ ) जिसे रक्षा के लिए दूसरों के पास रखा जाता है, वह न्यास / नास्त्यात्मा एवं वदनशील नाहियवादी । वादी है । ६४५. णिकरण (निकरण ) Jain Education International १२५ ( सूचू १ पृ २०२ ) (दश्रुचू प ३७ ) 'आत्मा नहीं है ' -- ऐसा जो कथन करता है, वह नास्तिक ६४६. णिकिर (निकिर ) निश्चयेन नितरां वा नियतं वा क्रियन्ते नानादुःखावस्था जन्तवो येन तन्निकरणम् । ( आटी प १४१ ) जिससे प्राणी निरंतर दुःख का उत्पादन करता है, वह निकरण / परिग्रह / संग्रह है । निकरणं निकीर्यते वा नि किरः । जो है । १. प्रतिषेधवाचिनो नकारस्य तदर्थस्यैवालंशब्दस्य । ( सूटी २ प १५८ ) यहां न और अलं — दोनों शब्द प्रतिषेधवाची हैं । २. नुद्यते कर्णधारैनौ: । (अचि पू८७६ ) For Private & Personal Use Only ( सूच १ पृ ११४) पशु के सामने बिखेरा जाता है, वह निकिर / घासफूस www.jainelibrary.org
SR No.016101
Book TitleNirukta Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size11 MB
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